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________________ १६ ] तिलोयपणती [ गाया : २३६६-२४०२ गंपा - रोहो - हरिया, सोना - पारी-सवण्ण-कूमायो । रत्त सि सस सरिया, पुवाए रिसाए पति ॥२३६६।। अर्थ :-गडा. रोहित, हरित, सीता, नारी, सुवर्णकला मोर रता ये सात नदियां पूर्वदिवा नाती है ॥२३६६॥ पन्छिम-दिसाए गच्छर, सिंधुई रोहिदास हरिकता । सोवोदा गरता, एप्पतरा सचमी म रसोबा ॥२४००॥ । एवं एरावर-खेत्तस्स पणना समचा। मय:--सिन्धुनदी, रहितास्या. हरिकान्ता, सीतोदा, नरकान्ता, स्प्यकूला और सातवी रफोदा ये साढदिया पश्चिम-दिशाम जाती NMF E * 1। इसप्रकार ऐरावतक्षेत्रका वर्णन समाप्त हुबा ॥ धनुषाकार क्षेत्रके क्षेत्रफल निकालनेका विधान-- इस-पार-गुनिव-जीवा, गुगिरव्या रस - पण मं वगं । मूलं बाबायारे, क्षेत्र होवि मुहुम - फल ।।२४०१॥ अर्थ :-नाणके चतुर्ष भागस गुरिणत जोराका जो वर्ग हो उसको दससे गुणाकर प्राप्त गुणनफलका मर्गमूल निकालनेपर धनुष प्राकार क्षेत्रका सूक्ष्म क्षेत्रफल जाना जाता है ॥२४०१॥ भरतक्षेत्रका सूक्ष्म क्षेत्रफलपंच-ति-ति-पा-सुग-गभ-सका काकर्मण गोयनया । एक-ए-ति-हरिद-बज-गम-दुग-भागा भरहखेत • फलं । २४०२॥ ६०२१३३५ । पर्ग :-पोष, तीन, तीन, एक, दो, शून्य पौर छह, इस अंक क्रमसे जो संस्था निर्मित हो बतने योजन और तीनसौ इकसठसे भाजित दोसो चौरानब ( ) भाग प्रमाण भरतक्षेत्रका सूक्ष्म क्षेत्रफल है ॥२४०२।।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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