SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 658
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ___ गाथा : २३७१-२३७६ ] चउत्यो महाहियारो रुम्मि - गिरिवस्सोवरि, बहुमको होरि पुरोप-बहो । फुल्लंत - कमल - परो, तिगिछ - हास्स परिमाणो ॥२३७१।। मर्म :-रुक्मि-पर्वतपर बहु-मध्यभागमें फूले हुए प्रचुर कमलों से युक्त तिगिञ्छके सदृश्य प्रमाणवाला पुण्हरोक दह है ।।२३७१।। तहह - कमल - पिकरे, वेदी निवसरि सुद्धि • गामेणं । तीए हवेदि प्रद्धो, परिवारो कित्ति • देवीवो ॥२३७२॥ प:-उस द्रह-सम्बन्धी कमल-भवनमें बुद्धि नामक देवो निवास करती है। इसका परिवार कौतिदेवीको अपेक्षा प्राधा है ।।२३७२।। गिदवम-लावण्ण-तणू, वर-रयणविमूसणेहि रमणिज्जा । विविह - विणोदा - कीदि, ईसाणिवस सा वेगी ॥२३७३॥ मर्ष :- अनुपम लावण्यमय भरोरसे संयुक्त मोर उत्तम रत्नोंके भूषणोंसे रमणीक ईथानेन्द्रकी वह देवी विविध विनोद पूर्वक क्रीड़ा करती है ।।२३७३।। सदह - दक्षिण - तोरण - बारेणं णिग्गवा नई गारी । सारी · नामे है, जिववि गंसूण 'पोष - मही ।।२३७४।। तहस्लिरण - बारेणं, णिस्तरिणं च दक्षिण मुही सा । तत्तो नाभिगिरिद, कादूण पाहिलं हरिगई प ॥२३७५।। रम्मक-भोगक्षिबीए, बहु - मरझणं पयागि पुष्प - मुही । पविसरि लवण • असाह, परिवार • तरंगिणीह जया ॥२३७६३॥ । रुम्मिगिरि-वारसा समता । पर्य :-उस दहके दक्षिण-तोरणद्वारसे निकली हुई नारी नदी अल्प-विस्तार होकर नारी. नामक कुण्डमें गिरती है । पश्चात् वह (कुण्डके ) दक्षिण-द्वारसे निकलकर दक्षिणमुख होती हुई १. ६. ब. क. ज. य. र. मोगमुहो।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy