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________________ गाया : २३५०-२३५४ ] उत्थो महाहियारो [ ६२७ सौरान दक्खिन-सडे, दोवोवणस्त बेदि - पश्चिमयो । गिसहाचाल - उत्तरवो, पुवाय दिसाए बच्चस्स ॥२३५०।। देवारणं अण्णं, चेदि पुवस्स सरिस - बन्न । गरि बिसेसो वेवा, सोहम्मदस्स परिवारा ।।२३५१।। म:- द्वीपोपवन-सम्बन्धी वेदोके पश्चिम, निषधाचलके उत्तर प्रौर वत्सादेवाकी पूर्वदिशामें सीता नदीके दक्षिण तटपर पूर्वोक्त देवारण्यके सदृश वर्णनवाला दूसरा देवारण्य भी स्थित है। विशेष केवल इतना है कि इस वनमें सौधर्म-इन्द्र के परिवार देव कोग करते है ।।२३५०-२६५। भूतानमा शानिरूपणE F RAATE सोदोदा - दु - तडेसु, बोवोववणस्स वेदि • पुल्याए । भोल - णिसहहि-माझे, प्रवर-विवेहस्स अपर-विम्माए ।।२३५२।। बहु - तक - रमणीयाई, भूदारणा बोनि सोहति । देवारमण - समाणं, सब चिय बज्यणं ताएं ॥२३५।। । एवं विवेह-विजय-अण्णणा समचा । वर्ग:-कीपोपवन-सम्बन्धी वेदोके पूर्व मोर अपर-विदेहके पश्चिम दिग्भागमें नील-निषषपर्वतके मध्य सोतोदाके दोनों तटोंपर बहुतसे वृक्षोंसे रमणीय भूतारण्य-नामक दो वन शोभित है। इनका समस्त वर्णन देवारण्योंके ही सदृश है ।।२३५२-२३५३।। । इसप्रकार विदेह क्षेत्रका कषन समाप्त हुआ । नीलगिरिका वर्णननोलगिरो सिहो पिब, उत्तर • पासम्मि दो-बिहागं । णबरि बिसेसो' अण्णे, कूडाणं देव-वेषि-दानामा ।।२३५४॥ प :-दोनों विदेहोंके उत्तर पाश्चमागमें निषधके ही सहश नीसगिरी भी स्थित है। विशेष इसना है कि इस पर्वतपर स्थित फूटों, देव-देवियों और होंके नाम जन्य हो है ॥२३५४॥ -- . -- - - . .. -- - -.-.. -- १.ब.प. विदेशो एसो प्राणे ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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