________________
६१. ]
तिलोयपणती
[गाचा : २२८०-२२८३ मर्ष:-बह देश पाखण्ड सम्प्रदायोंसे रहित है और सम्यग्दृष्टि जनों के समूहसे व्याप्त है । विशेष इतना है कि यहाँ विहीं शिक्षी जीवों के शामिनाया निशानाहाका है ।
उपसमुद्रका वर्णनमागध-वरतगवेहि य, पभास - दोवेहि कल्य-विजयस्स ।
सोहेवि उपसमुद्दो, वेदो - घर - तोरणेहि शुवो ॥२२८०।।
प्रर्ष :-वेदो और पार तोरणों से युक्त कम्छादेशका उपसमुद्र मागध, परतनु एवं प्रभास द्वीपोंसे शोमायमान है ।।२२८०॥
कच्छादेशागत मनुष्योंको आयु और उत्सेधादिमंसोमुहसमवरं, कोडी पुष्वाण होदि उपकस्स । आउस्स य परिमारणं, गराग रणारीग कन्यम्मि ।।२२८१।।
पुष १००..... *:-कन्यादेशमें नर-नारियों की आयुका प्रमाण अधन्यरूपसे अन्त मुहूर्त और उस्कृष्ट ___ रूपसे पूर्वकोटि { १००००००० ) है ॥२२८।।
उन्हो बारिण, पंच • सया विविह - बण्णमावन् । परसट्ठी हट्टी, मंगेतु पराग पारीनं ॥२२६२॥
५०० । ६४ । प्रध:--वहाँपर विविध वसे युक्त नर-नारियोंके शरीरकी ऊंचाई पपिसी (५..) धनुष भोर पृभागकी हडियो चौसठ (६४) होती है ॥२२५२॥
कच्छादेशगत विजयार्घका वर्णनकाछस य बहुमण्झे, सेलो नामेण पोह-'विजयपढ़ो। जोयग - सय - बासो, सम • बोहो बेस - वासे ।।२२८३।।
५० । २२१२ 121
१.६... क. च.न. य. विजयादो।