SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 612
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पापा : २१७४-२१५८ ] उत्यो महाहियारो [ ५५ मझिम-उदय-पमात्र, अर्द्ध चिय बोयणाणि एस्स | सम्बतेसु उपरो, रो • दो' कोसं पुर होवि ॥२१७४।। ८।२। म :-इस स्यसको मध्यम ऊँचाईका प्रमाण आठ योजन और सबके मन्समें पृषक-पक् दो-दो कोस प्रमाण है ।।२१७४।। सम्मलि-हाखान पलं, तिम्णि बरसा वेदिडूण चेटुति । विविह-पर-हमान-सम्मा, देवासुर - मिडम - संकिण्मा ॥२१७४।। पर्ण :-विविध उत्तम वृक्षोंसे युक्त और मुरासुर-युगलोंसे सङ्कीर्ण तीन वन शाल्मलीवृक्षोंके स्थलको वेष्टित किए हुए हैं ॥२१७५॥ उरि अलस्स बेहुवि, समतदो वेविमा सुवष्यमई । Xxkswkxt :-. बारिमाराशिवणेहि संपुण्णा ।।२१७६॥ पर्ष :-उस स्थलपर चारों ओर द्वारोंके उपरिममागमें स्थित जिनेन्द्रभवनोंसे परिपूर्ण स्वर्णमय वेदिका स्थित है ।।२१७६।। अड-ओयण उत्सगो, पारस-बउ-मूल-उड-विस्थारो । समवट्टो रजतमयो, पीठो देवीए मझम्मि ॥२१७७॥ । १२ । । म:-इस वेदोके मध्यभागमें आठ योजन ऊँचा, मूलमें बारह योजन तथा अपर चार योजनप्रमाग विस्तारवाला समवृत्त ( वृत्ताकार ) रजतमय पीठ है ।।२१७७।। शाल्मली वृक्षका वर्णनतास बह-मम्मोसे, सपाव - पोतो य सम्मली-रुक्यो । सुप्पह - गामो बहुविह - घर • रपणजोय - सोहिल्लो ॥२१७८॥ म:-उस पीठके बहुमध्यभागमें पादपीठ-सहित और बहुत प्रकारके उस्कृष्ट रलोंके उद्योतसे सुशोभित सुप्रभ नामक साल्मलीवृक्ष स्थित है ॥२१५८।। ....अ.य. दो-हो। २. द. क.अ. 4. ब. क्या ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy