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________________ भाषा : २१२६-२१२९ ] पासो महाडियारो ली kinesi चढवि विजयी, जोपण-कोसा • उषय - विरधारा । पुणावर - भागेसु, संलम्मा गयवंत • सेलानं ॥२१२६।। । जो ! । को। प्र:-विध तहसे उत्तरकी पोर दो हमार गानय योजन मोर उभीससे विभक्त दो कला ( २०९२ योजन) प्रमाण आकर एक योजन ऊँची, आषा (1) कोस चौड़ी और पूर्वपपिचम भागों में गजदन्त-पर्वतोंसे जुड़ी हुई दिम्प वेदो स्थित है ॥२१२२-२१२६।। परियाद्वालय - विउमा', बहु-तोरण-वार-संजुषा रम्मा । वारोवरिम • तसेस, सा जिण - भवणेहि संपुन्या ।।२१२७॥ पर्व:-बह वेदो विपुल मागों एवं पट्टालयों सहित, बहुत तोरण-द्वारोसे संयुक्त और द्वारोंके उपरिय-भागों में स्थित जिन-मपनोंसे परिपूर्ण है ॥२१२७।। दिग्गजेन्द्र पर्वतोंका वर्णनपुण्यावर - भागे, सीवोद - पोए भहसाल - बजे । सत्मिक - अंजण - सला, गामेण "दिग्गवित्ति ।।२१२८॥ पर्व :-मनगालबमके भीतर सीतोवा नदी के पूर्व पश्चिम भागमें स्वस्तिक पोर मम्मान नामक दिग्गजेन्द्र पर्वत हैं ।।२१२८।। जोयग - यमुस्तुगा, लेसिय-परिमाण-मूल-बित्पारा । । इच्छेह - तुरिम - गाढा, पन्गासा सिंहर - विक्संभो ।।२१२६॥ ।१०।१०।२५। ५. । पर्य: ये पर्वत एक सौ (१०.) योजन ऊंचे. मूलमें इतने ( १०. यो. ही प्रमाण विस्तारखे पुक्त और ऊँचाईके बसुर्व भाग ( २५ मो०) प्रमाण नीयता पक्षाप्त ५०) योजन प्रमाण शिखर-विस्तार सहित हैं ।।११२६।। ....ब.प. 7 गिरणा । २. . 4. सिबरिविति।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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