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तिलोयपणतो [ गावा । २१२२-२१२५ पणवोत - बोयणाई, अषणावा से फरत-मणि-किरणा। ति-णिव-गिम विस्थारा, अतिरित्ता ताण परिशीपो ।।२१२१॥
प्रपं:-प्रकाशमान मणि-किरणों सहित वे पर्वत पचीस योजन गहरे हैं । इनकी परिधियोंका प्रमाण पते-अपने विस्वाइसे अब अमित तिगुना है ! FARPUR
घर तोरण-बोहि, मूले उरिम्मि उपवण • बगेहि ।
पोक्सरणीहि रमा, कगयगिरौं मगहरा सव्वे ।।२१२२॥
अप:-ये सब मनोहर कनकगिरि मूलमें एवं ऊपर चार तोरण-वेदियों, पन-उपवनों और पुष्करिषियोंसे रमणीक है ॥२१२२॥
कणय-गिरोग' उरि, शसादा कणय रजवारयणमया ।
गच्चंत - षय - पापा, कालाग - व - गंबता ॥२१२३॥
प्रय:-कनकगिरियों पर स्वर्ग चांदी एवं रहनोसे निमित नापती हुई ध्वजा-पताकामों सहित और, कालागर धूपकी गवसे व्याप्त प्रासाद हैं ।।२१२३॥
जमग मेधगिरी ब, कंत्रण - सेलाण बनणं सेसं ।
गरि बिसेसो कंचन - नाम' - उतराम बासरे ॥२१२४।।
म :-काम्बम लोंका शेष वर्मन यमक और मेघगिरिके सहा है। विशेषता केवल इतनी है कि ये पर्वत काम्चन नामक म्यन्सर देवोंके निवास है ॥२१२४॥
हिम्प-वेदोबु-सहस्स-जोयनामि, पानी रो कला पविलत्ता । उजवीरोह गन्छिप, "विण्यु - पहारो व उत्तरे भागे ॥२१२५।।
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