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गामा । २११७-२१२० ]
स्पो मद्दाहियारो
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अर्थ :- निषष, कुरु ( देवकुरु ), सूर, सुलह और विद्यतु ये उन पांच द्रहो नाम हैं। इन पांचों ग्रहोंके बहुमध्य भाग में से सीढोदा नदी गई है ।२११६ ।।
होंति वहाणं मक्के, मंजुल कुसुमाण दिग्व भव ।
यि गियरहणामार्ग', नागकुमाराए देवीओ* ॥२११७१
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देव एवं देवियोंके निवास है ।। २११७ ।।
अर्थ :- द्रहों के मध्य में कमल पुष्पों के दिव्य भवनों में अपने-अपने के नामवाले नागकुमार
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यस यन्मणाओ, जाओ' पउम दहनि भणिदाओ ।
ताम्रो विजय एवं
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यवं मूलम्मि सदं पणासा सिहर
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अर्थ :- अवशेष वर्णनाएं जो पद्मद्रके विषयमें कही गई हैं. वे ही इन उत्तम ब्रहों के विषयमें भी जाननी चाहिए ।।२११० ।।
कांचन मेलोंका वर्णन -
एक्केकस्स वहस्त य, पुष्य दिसाए य प्रवर विभागे । वह वह कंखग-सेला, जोयन सब मेस
मोदी
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फ्रेश' ।।२११६॥
। १०० ।
:- प्रत्येक के पूर्व एवं पश्चिम दिग्भाग में सो-सो योजन ने दस-दस काञ्चनकनक पर्वत ) हैं ।। २११६||
पतरि जयनाणि मज्झमि ।
तले, पक्कं कणय - सेलानं ।। २१२०॥
। १०० । ७५ । ५० ।
अर्थ :--- प्रत्येक कनक-पर्वतका विस्तार मूलमें सौ (१००) पोजन, मध्य में पचहतर ( ७५ ) योजन और बिखरतल में पचास (५०) योजन प्रमाण है || २१२० ॥
९. य. ब. क. जप सामाग्री व 5 णामाच । २. ब. खामा, द. क. ज. प . उ. गामा | १६. ब.उ. जाट ४ . . . . . . . . .
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