SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 603
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 15. तिलोयपम्पत्ती 1 गाथा : २१६०-२१३४ पुव पिव वग - संग पूले उपरिम्म विगजापि । पर हो - बार • जुवा, समंतको सुबरा होति ॥२१३०॥ मर्थ:-इन दिग्गज-पर्वतोंके ऊपर एवं मूसमें पूर्व वर्णन के ही सहा उत्तम बन-वेदीद्वारोंसे संयुक्त मोर चारों ओर से सुन्दर पुन-चण्ड ॥२१३ सु ESEAREST एवामं परिहोमओ, वासलं ति - गिर्वण महियाको । ताब उपरिस्मि विश्वा, पासामा कणय - रयनमा ॥२१३१॥ प्रबं:-इनकी परिधिया सिगुणे विस्तारसे कुछ मधिक हैं। उन पर्वतों के ऊपर स्वर्ग और रत्नमय दिव्य प्राप्ताद हैं ॥२१३१।। पण-घण-कोसायामा, सहल - वासा हवंति पसेकं । सन्चे सरिसुचहा, बासेग विवड - मुभिदेण ॥२१३२|| ।१२५ । ... । मर्म :-इन सबमें प्रत्येक प्रासाद पाप पन ( १२५ कोस ) प्रमाण लम्बा, इससे भाषे (सकोस ) प्रमाण घोडा और हेड-गुणा ( ६३ कोस ) केचा है ॥२१३२॥ एरेस भवणेस, कीडेवि बमो ति वाणो देखो। साकस्स बिकुम्वतो, एरामद • हल्पि - स्वेन ॥२११३।। म:-इन भवनों में सौधर्म इन्द्रका यम नायक वाइन देन कोठा किया करता है। यह देव ऐरावत हामी के रूपसे विक्रिया करता है ।।२१३३।। जिनेन्द्र-प्रासादततो सौदोराए, पच्छिम - तोरे शिरिणय - पासादो', मंघर • बस्लिग - भागे, तिहुदण • चूगमनी नामो ॥२११४॥ पर्व:-इसके प्रागे मन्दर-पर्वतके दक्षिण भागमे सीसोदा नदीके परिचम किमारे पर त्रिभुवन चूडामणि नामक जिनेन्द्र-प्रासाद है ॥२१३४।। ...ब. क. प. य. स. उ. निम्मवाण । ..... . . . . पासाया ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy