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________________ पापा : २०१७-२१.१ ] परयो महाडियारो [ ५६९ म: देवकुन-क्षेत्रमें तस्पन हई चौरासी हजार ( २४०.0) नदिया है। इनमेंसे बयालीस हजार जति गीतोहाके बोरों को इसे सरकार को प्रदेश स्कूली २०६६।। अबर-विह-समुम्भव-गयो समाया हयक्ति चर - लक्बर । मडवालं च सहस्सा, प्रस्तोता परिसंति सोवोदं ॥२०६७॥ । ४४०३८ । पर्व :-प्रपर विदेहक्षेत्रमें उत्पन्न हुई कुस नदियाँ चार तास अड़तासीप्त हजार बड़तीस (४४.३८) है, जो स्रोतोदामें प्रवेश करती है ।।२०६७।। बंदोबस्त तवो, नगवी - बिल · रारएण संचरितं । पविस स मिहि, परिवार • पईहि जुत्ता सा ॥२०१६॥ :-पक्ष्याम् जम्बूद्वीपकी जगतोके बिलन्दारमेंसे जाकर वह नदी परिवार-मदियोंमे युक्त होती हुई लवण समुद्र में प्रवेश करती है ॥२०६८।। वादगार - पहरी, हरिकताडो हति योगनिदा । तौए • तर - वेदो - उबवण - संडादि - रम्माए ॥२०१६॥ म:-दो तट-वैदियों और उपवन-वाण्डोसे रमणीय उस सीलोदा नदीका विस्तार एवं गहराई आदि रिकान्ता नदीसे दूना है ॥२०९६।। यमक पर्वतॊका वर्णन सोयच - सहरूस मेक्क, जिसह - पिरिवास उत्तरे गर्नु । बेळंति जमग • सेला, सौगोदा - इभम - पुलिणे ॥२१ ॥ पर्व:-निषष-पर्वतके उत्तरमें एक हजार योजन जाकर सोतोदा-नदीके दोनों किनारों पर यमक शंन स्थित है ।।२१०॥ पामेण अमग - कूडो, पुम्बन्मि में गबीए बेदि । प्रवरे मेघ फूगे, फुरंत - घर - रमन - किरणोहो ॥२१०१।। प्र:-प्रकाशमान उत्तम रत्तोंके किरण-समूह सहित यमक कर सीतोवा नदीके पूर्व सट पर है और मेषकूट पश्चिम तटपर है ॥२१०।।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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