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पापा । २०५२ - २०५६ ]
शो-स-पास तसो परेस
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। २५० 1
तानं च मे पासे, पंच तथा जोबनाणि विस्मारो।
लोयविच्छि
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चत्वो महाहिया
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सोया
वड्ढो, पतंग मेद सेलतं ।। २०५२ ।।
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(MARKĄ)
वर्ग:नीस और निषध पर्वत के पास धन ( गजदन्त ) पर्वतका विस्तार दोसो पचास ( २५० ) योजन प्रमाण है। इसके भागे मेरु पर्वत पर्यन्त प्रत्येक प्रदेश वृद्धि होनेसे मेरुके पास उनका विस्तार पांचो योजन-प्रमाण हो गया है। लोकविनिश्चयके कर्ता नियमसे इसप्रकार निरूपण करते है ।। २०५२ - २०५३।।
सिरिमद्दसाल बेदी, वार गिरीण अंतर-माणं'
पंच सय जोमाणि
सम्यायनियमि
बिट्ठि
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कक्षा एवं जिम्मा सिरुवेदि ।। २०५३ ॥
J
| ५००
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| ५०० ।
( पाठान्तरम् )
1
सर्ग: श्री मशाल वेदी और वक्षार-गिरियों का अन्तर पाँचौ (५०० ] योजन प्रमाण सामणीमें कहा गया है ।। २०५४ ।।
गजदन्तों की नींव एवं उनके कूटोंका निरूपण --
गाणं गाढा, गिय-निय उदय प्पमाच-प-भागा । सोमणस गिरिवर बेट्टते सत सिद्धो सोमणसक्खो, बेदकुरु मंगलो कंचण दसिद्ध कूडा, सिहंला
१.६. रु. ज. प. च. ठ समाए ।
( पाठान्तर )
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।।२०५४ |
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दिमल भामो
मंदर
| पालान्तर )
[ ५2e
कुडाणि ॥२०५५ ॥
श्री ।। २०५६।।