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________________ ५५६ ] तिलोयपणती [ गापा : २०४६-२.५१ जोपण - सहि - सहस्सा, बत्तारि सया य अनुरस-वृत्ता । उनबीस-हरित-बारस - सामो बसार - म - ॥२०४८।। ०४१०१२। मर्म :-वक्षार ( मजदन्तों ) पवंतोंका घनुपृष्ठ साठ हमार चारसी अठारह योरन और उन्नीससे भाजित गरह कसा ( .४१ योजन ) प्रमाग है ।।२०४८॥ गोयन-सीस-सहस्सा, 'णब-उत्तर से सपा पसभागा । उमगोसेहि बिहता, तानं सरिसायपारण' बीह ॥२०४६।। | ३०२०६६ :-उन सदषा पायत क्षार-पांतोंकी लम्बाई तीस हजार दोसो मो योजन और उन्नीससे विभक्त छह भाग ( ३०२०६२ यो०) प्रमाण है ॥२०४६।। मोबाए बर्ग, परन • बाप - प्पमाण - परिहतं । इसु - संजुत्त साग, मम्मतर - पट्ट - विक्संभो ॥२०५०।। एकातर सहस्सा, इगि-सोपाल - बोपना य कला । नव-गुणिबुषबीस - हिया, सग - तोमा - विक्खंभे ॥२०५१॥ प्रर्म : जीवाके वर्ग में चौगुणे दाणका भाग देकर लम्सरामिमें वाणक प्रमाणको मिला वेनेपर उनके अन्सत क्षेत्रका विष्कम्भ निकलता है। यह वृत्त-विष्कम्भ इकहत्तर हजार एकसौ तेतालीस योजन और नौसे गुणित उन्नीस (११) से भाजित मैंतीस कला (११४३.यो.) प्रमाण है ॥२०५०-२०५१।। यषा-५३... {324x4 ) + me=११४३ योजन । मुविसावा । ..... एकत्ता, क. ब. म. द. पाता। २..... म. उ. १.प.क... य. क विसभा ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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