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________________ यो महाहियारो पासम्म मेद- गिरियो, पंचसया दोघाणि उच्केहो । विवम रूप घराणं सारण वक्वार- सेल्स · गाया : २०४४ - २०४७ ] ।।२०४४ ।। धर्म:-नोस और निवेश-पर्वतके पासमें इन ( गजदन्तों को ऊँचाई पारसो योजनप्रमाण है । इसके आगे मेपर्यंत पर्यन्त प्रत्येक (इसको प्रदेश- वृद्धि के होनेपर अनुपम रूपको धारण करनेवाले उन वक्षार पर्वतोंको ऊंचाई मेरुपर्वतके समीप पांचसौ योजन प्रमाण हो गई है ।। २०४३ - २०४४ ।। गजदन्तोंको जीवा एवं बाण आविका प्रमाए · बुगुसम्म भट्टसाले, मोद गिरिवरल विसु विषतं । बो-सेल-म-जीवा, सेवा-सहस्स जोयरेरणा होंति ।। २०४५ ।। - । ५३००० । मालवन के विस्तारको दुगुना करके उसमें मेद-पर्वतके विस्तारको मिला देनेपर दोनों पर्वतोंके मध्य में जीवाका प्रमाण तिरेपन हजार अर्थ :- [बझार ( गजदन्त ) के विस्तारसे रहित ] ( *** } योजन भरता है ।। २०४३।। ( २२००० -५०० ) x २ + १०००० ११००० । अयि विबेहद पंच सहस्वाणि तत्य अवधि वो बनसार गिरीनं जीवा बागस्त परिमाणं । २०४६ ॥ • [ ५५७ अर्थ :- विदेहके विस्तारको प्राधाकर उसमें पचि हजार कम कर देनेपर वो बारपर्वतोंकी जीवा वायका प्रमाण प्राप्त होता है ।। २०४६ ।। यथा - ४१००० : २–५०००-१५० । पणवीस सहस्तेहि, अमहिया जोमाणि दो लमला । उनवौसेहि विहता, मानस पमान | २२१००• | ▾ मुद्दि ।। २०४७ ।। वर्ग: उपर्युक्त वाका प्रमाण उनीससे माजित दो लाख पचीस हजार (235000 या ११०४२) योजन कहा गया है ।। २०४७ ।। ....... चिरबिर
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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