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________________ ५५४ ] तिलोयपगत्ती [ गाथा ! २०२७-२०३१ :-नन्दनबरसे पाचसो ( ५०० ) योजन प्रमाण नीचे जाकर पठासी विकल्पों महिस धीभद्रवालवन स्थित है ।।२०२६।। विशेषावं :-सुमेरु सम्बन्धी भरयाणवनको पूर्व-पश्चिम चौडाई २२००० योजन है, इसको ८ में विभक्त करने पर दक्षिणोत्तर चौपाई प्राप्त होती है । बायद इसीलिए गाथामें मद्रमालबनको प्रवासी विकल्पोंसे युक्त कहा गया है । वावीस - सहस्सानि, कमसो पुन्नावरेस विस्थारो। तह बलिणत्तरेसु, ७ - सया पम्णास तम्मि बने ।।२०२७॥ । २२००७ । २२००० । २५० । २५० । प: उस बनका विस्तार पूर्व में ( २२००० पो.) पहिषाममें गाईस हजार (२२...) योजन तथा दक्षिण ( २५० यो) और उत्तरमें दोसौ पचास ( २५० ) योजन प्रमाण है ।।२०२७॥ मेरु-महोघर-पाते, पुष्य - रिसे एक्लिपवर - उत्तरए। Use --- काजिनामा दिन मसाल - बगं ॥२०२८।। प:-प्रशाल-वनमें मेरुपर्ववके पार्वमें पूर्व, दक्षिण, पवित्रम और उत्तर दिशामें एक___एक बिन-भवन है ।।२०२८।। पंह-वण-पुराहिलो, बउगुण - बासस्स उदय • पहलीमो । जिनवर - पासावा, पूर्व पिव दण्णण सव्व ॥२०२६॥ :-जून जिन भवनोंका विस्तार एवं ऊंचाई आदि पाण्डक-नके जिन-भवनोंको अपेक्षा पौगुना है। शेष सम्पूर्ण वर्णन पूर्वके हो सदृश है ।।२०२६॥ तम्मि बजे वर-तोरण-सोहिर-घर-बार-णिबह-रमणिग्जा। अट्टालयापि - साहिया, समतदो कमयमय · वेदो ॥२०३०॥ म :--उस वनके चारों ओर उसम तोरणोंसे शोभित, घोष्ठ द्वार-समूहसे रमणीय एवं अट्टालिकादि सहित स्वर्णमय वेटी है ॥२०३०॥ अयोए उन्हो , जोयनमेकं समतयो होवि। कोयंडाग - सहस्स. वित्यारो महसालम्मि ॥२०३१॥ ।जो १ । र १.००
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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