________________
५४६ ]
तिसीयपम्णतो
[ गाथा : २०००-२००३ । १५०० । को । म :-सब भवनोंकी ऊंचाई पृषक्ष क् पन्द्रहसौ ( १५०.) धनुष है, विस्तार एक कोसका चतुर्षमाग ( ३ कोस ) है मौर दीर्धता इससे दुगुनी (कोस ) प्रमाण है ॥१९॥
रासो पन-घन-कोसा, तलुगुपो 'मंविराम उल्लेहो । लोपविनिन्छप - कत्ता, एवं मागे जिस्वेवि ।।२०००॥
१२४ । २५० ॥ xneha . AFi sirf MEETIT
(पाठान्सरम) पर्य :-मन्दिरोंफा विस्तार पपिके घन ( १२५ कोस ) प्रमाण और ऊँचाई इससे दुगुनी ( २५० कोस ) है । लोकविनिश्चयके कर्ता इनके प्रमाणका निरूपण इस प्रकार करते हैं ॥२०००।।
(पागन्तर) कुसु वेवीमो, कष्ण • कुमारीओ दिग्य - कवायो । मेषकर - मेघवी, सुमेघया मेघमालिनी तुरिमा ।।२००३।। तोयंषरा विधिता, पुष्पमाला' प्राणिदिवा परिमा ।
पृथ्वादिस फूडेसु, कमेण घटुंति एवाओ ।।२००२॥
प्रबं:-पूर्वादिक कूटोंपर क्रमश: मेघरा, मेघवतो, सुनेघा, मेघमालिनी, तोयम्परा, विचित्रा. पुष्पमाला और अनिन्दिता, इसप्रकार दिव्य रूपवानों ये (पाठ) कन्याकुमारी देवियां स्पित है ॥२००१-२००२।।
बलभद्रकटका विवेचनबलभाह - गाम - कटो, ईसाण - विसाए सम्व होदि । ओयण - सथ - मुत्तुगो, मूलम्मि । तेत्तिमो पासो १२००३॥
। १०० । १..। प्रबं:-सोमनस-बनके भीतर ईशान दिशामें एकसौ योजन-प्रमाण ऊंचा पोर मुलमें इतने ही ( १०. यो. ) विस्तारवाला वनभा नामक कट है ॥२००३॥
...
5. . . . . यंदराला 1 २. द.प. भ.ज. प. उ. ठ. पुरयमानी।