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गाषा : १६०७-१६१० ] उस्मो महाहियारो
[ ५२६ वर्ग :-देवचन्दके सम्मुख नाना प्रकारके गस्नों और पुष्पोंकी मालायें प्रकाशमान किरणसमूह सहित लटकती हुई विराजमान हैं ॥१९०६।।
बचौस-सहस्सागि, कंचन-रजवेहि णिम्मिा विठला । सोहति पुल-कलसा, सचिरा पर - रपए - नियहि ॥१९०७॥
ब: वर्ण एवं धांदीसे निर्मित और उत्तम रत्नसमूहोंसे पाचिन बत्तोरा हजार (३२०.. प्रमाण विशाल एवं पवित्र कला सुशोभित है ।।१६०७||
पउवीस-सहस्सानि, पूष-धन सणय-रणव-निम्मिषिता। कम्मरापुर - चंबन - पहुवि - समुदत - धूब पंपड़ा ।।
१८।। | २४००० । प :-कर, मगुरु और गन्दनदिकसे उत्पन्न हुई यूपको गन्धमे बाप्त चौर स्वर्ण एवं चावोसे निर्मित मोजोस हजार ( २४... धूप-यट है 1॥१८
भिगार-रयम-प्पण-भुमुब' पर चमर-पाक-कम-मोह।
घंटा • पाय - पवर, जमिन - भवणं "निरूपमागं RECell
पर्व-भारी, रालदपण, मुद मुद. उत्तम मर और पक्रसे शोभायमान तथा प्रचुर घण्टा और पताकामोसे युक्त वह जिनेन्द्र भवन अनुपम है ।।१६९ll
विण: पासादास पुरो, बेटा - वारस पोसु पासेसु। पृह पसारि - सहस्सा, खंबते' रयण - मालाओ ।।१९१०॥
-बिन-प्रासादके सम्मुख ज्येष्ठ वारके दोनों पाश्र्वभागोंमें एपक्-पृथक् चार हजार (४... ) रस्ममालाएं तटकती है १९१०॥
१.प. य. म. रोहि... ह. स. सोहि । २.८. पनि। ३.प.बय। ४, प..... प. मोहो। .....कम. प. स. B. fary E...क.प.ब.उ. 3. निस्मारणामो। ७.....क, ज. प.... पाते।