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तिलोत
[ गाया: १६०५ - १६०६
:---भूङ्गार, कलश, दर्पण, चंवर, ध्वजा, बोजना, छत्र और सुप्रतिष्ठ ( ठोना ) वे आठ मत द्रव्य हैं। इनमेंसे वहाँ प्रत्येक एकसी श्राउ- एकसो प्राठ होते हैं ।११२०४ ॥
५२५ ]
फारी
घमर
अष्ट मगल द्रव्य
क्षत्र
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सांधिया
यक्षादिसे युक्त जिनेन्द्रप्रतिमाएँ
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सिरिसुद-देवीण तहा', 'सव्वान् सनक्कुमार-जक्सानं । स्वाणि एच एक पडिमा वर रयण रहवाणि ।।१६०५ ।। प्रत्येक प्रतिमा उत्तम रस्नादिकोंसे रचित है तथा श्रीदेवी. श्रुतदेवी तथा सर्वा एवं समस्कुमार यक्षोंकी मूर्तियोंसे युक्त है || १६०२ ||
देवछन्द एवं ज्येष्टद्वार माविकी शोभा सामग्री-
दसपुरी गागाविह रयण कुसुम-मालाओ । फरिवरिकरण बताओ शिरायते ॥१६०६ ॥
फलानो,
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1. C. . . . 2. 3. HET I २..... न. म.उ. सच्चारण । ३. . . . लोक. रारि ४८. जय पुरिवक्रित बसीओ क पुरिकर किसानो, उठ. पुरियकिरण काम्रो । ५. . . . ज. व उरु धम्मंता