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________________ गांधी : १६-१८९२ ] उत्यो महाहियारो पंभाग मञ्झ सूमो समंतदो पंच क्षण रयणमई । तबु मच गमनानंद संबणणो निम्मला विरजा ।। १८८७ ।। · अर्थ :- खम्भोंकी मध्यभूमि चारों ओर पांच वर्षोंके रत्नोंसे निर्मित करो, भन एवं नैत्रोंको आनन्ददायक, निर्मल और त्रुनिसे रहित है ।। १८८७।। बहुविह विजानएहि, मुलाहल दाम चामर जुदेह । पर रयण सहि, संतो सो जिवि पासावी ॥१६८८ ॥ . 4 - - - मार्गदर्शक: जिप्रासाद मोतियोंकी मासार्थी तथा नामोंसे युक्त है एवं उत्तम ररानोंसे विभूषित बहुत प्रकारके विज्ञान से संयुक्त है ।। १८८८ || गर्भगृहमें स्थित देवका वर्णन - वो बसहीए गर्भागिहे जोहो । इगि जोयण बियारो, उ जोयावीह संशुत्तो ।।१८८९|| - - - सोलस कोसुन्हं समचउरस्वं तव लोयविि देवद । जो २ १ १ । ४ । अ :- वसतिकामे गर्भगृह के भीतर यो योजन ऊँचा. एक योजन विस्तारवाला और बार योजन प्रमाण लम्बाईसे संयुक्त देवस्य है ।। १८६६ ॥ - - - - 7 - But, । को १६ । ८ १ - पाठान्तरम् । धर्म :- लोकविनिश्चयके कर्ता देवको समचतुष्कोण, सोलह कोम ऊँचा थोर इससे ८ कोस ) विस्तारसे संयुक्त बताते हैं ।। १८६० ॥ बाषे - संवंत कुसुम दामो, पारावय- मोर-कंठ-वा-जिहो । मरणय पवालथण्णो, कक्केयण - इंदनीलमग्री ।। १६६१३ · चोस कमल मालो, बामर घंटा-पवार रमनिको । गोसीर मलय चंबल कालागद धूव गंध · - - विश्ारं । पहने ।।१८६०। [ ५२५ पाठान्सर । १. व. न..य... २. ब. ब. क. ज. उ. प . ।।१६१२।०
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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