________________
गाषा : १५७-१८८१ ] चउत्यो महाहियारो
[ ५२३ छल्लाला छाट्ठी, सहस्सया छत्सयाइ छासही। परिवार - विमाणाई, पापहे वर - विमाणम्मि १८७७॥
। ६६६६६६ । म:-बल्गुप्रभ नामक उत्तम विमानके परिवार-विमान छह लास पासठ हजार छह सो पासठ संख्या प्रमाण है ।।१८७७)
वाहम-बम-पहवी, लरहि RETTE CERTE # K ल कप्पन - वर - इस्पोमो, पियाओ आउनु - कोजीओ ।।१८७८11
।३५००००००। म:-उत्तर दिशाके स्वामी उस कुबेरके वाहन-वस्वाधिक पावस होते हैं और साढ़े तीन करोड़ ( ३४००००.०) कल्पज उत्तम स्त्रिर्मा टमकी प्रियायें होती हैं ।।१८७८
पाण्डुक वनस्प जिनेन्द्र-प्रासाद वर्णनतम्बक • माझे धूलिय - पुन्ध-विसाए जिणिद-पासादो । उत्तर - पक्विान-शोहो, कोस - समं पंचाहत्तरी उदलो ।।१८७६।
। कोस ...।७५ । म:-उस धन के मध्य चलिकासे पूर्वको ओर सो कोस-प्रमाण उत्तर-दक्षिण-दोष भोर पपहत्तर कोस-प्रमाण ऊँचा जिनेन्द्र-प्रासाद है ॥१८७६।।
पुष्यावर - भागेस, कोसा पचास तस्य वित्मारो । कोसई अवगाहो, द्विमो मिहण - परिहीमो ॥१८॥
। को ५ । मा। मर्ष :-पपासकोस विस्तृत पौर अर्धकोस प्रगाह वाले ये वकृषिम एवं अविनाशी (मनादिनिधन ) जिनेन्द्र प्रासाद पूर्व पश्चिम भागोंमे है ।।१८८०।।
एसो पुष्वाहिमूहो, पर • जोपण गेट-पार-उन्हो । बो जोयन तयासो, वास • समाजो पबेसो १EE|
।४।२ ॥२ ।