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तिलोयपणती [गाया ! १८७२-१८७६ प:-पाण्डकवनके मध्यमें चूलिकाके पास पविषम-दिशामें पूर्वोस भवनके सदृश ध्यासादि सहित हारिट नामक प्रासाद है ।।१८७॥
वरुणो त्ति लोयपालो, पासावे तत्व चेवे मिच्छ । starter किंचुण सिपाह काम पानिमाम्नि ।।१८७२।।
मपं :-उम्र प्रासादमें सब कुछ कम सोन पल्य प्रमाण आयुका धारक जसप्रम नामक विमानका प्रभु वरुण नामक लोकपाल रहता है ।।१८७२।।
छल्लामा बापट्ठी, सहस्सया बसवानि चासट्ठी। परिवार - बिमाशाई होति जलप्पट - बिमानस्स ॥१८७३॥
६६६६६६ । म :- जलप्रम विमानके परिवार-विमान छह लाख छयासठ हजार छहसौ छपासठ ___ संस्था प्रमाण हैं ।।१८७३॥
वाहण-वस्थ-विमसन-कुसुम-प्पहीन हेम - वाणानि । वरजस्स हॉति कप्पा - पियाउ आउट - कोडोयो ||१७||
। ३२०००००० । धर्म:-वरुण लोकपालके वाहन, वस्त्र, भूषण मोर कुसुमादिक सभी पदार्थ स्वर्ण (सुनहले ) वर्णवाले होते हैं। इसके साढे तीन करोड १३१०००...) कल्पवासिनी प्रियायें होती हैं ॥१८५४॥
तश्वन - भरझे धूलिय - पासम्मिय उपरे विमायन्मि।
पंडग - नामो मिसनो, वास - पहुचीहि पुव्वं वा॥१८७५।।
म:--उस पाण्डुक बनके मध्यमें पूलिकाके पास उत्तर-विभागमें पूर्वोक्त भवनके सहम विस्तारादियाला पाक नामक प्रासाव है ।।१७।।
सस्सि कुबेर • मामा, पासाद - 'वरम्मि केवे देवो । किचूण - ति - पस्माक, सामो हरगुप्पहे विमाचस्मि ||१८७६॥
म:-उस उत्तम प्रासादमें कुछ कम तीन पल्पप्रमाण आयुका शरक एवं वल्गुनम विमानका प्रमु कुबेर नामक देव रहता है ।।१७।।
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१. 4...क... य. च, बम्मि ।