SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 548
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गाया : १८६७-१८७१ ] यो महाहियारो [ ५२१ अर्थ :- सोम लोकपालके वाहन, वस्त्र, भाभरण, कुसुम, गन्धचूर्ण, विमान और शयनादिक सब रयत ( गहरे ) रक्तवर्णके होते है ।। १८६६ ।। पंडुग-वचस्स मक्के, चूलियन्यासम्मि बक्सिन-विभागे । अंजण णामो भवनों, बासम्पहुवीहि पुष्यं व ।। १८६७॥ म :- पाण्डुवनके मध्य में चूलिकाके पास दक्षिण दिशाकी भोर भजन नामक भवन है । इसका विस्तारादिक पूर्वोक्त भवनके ही सदृश है ||१८६७ ।। है ।।१६६६ ।। जम-नाम-सोयपासो', अंगण भवणस्स चेट्टबे मर किम्बर-दि-खुदो, अरिठ - शामे अर्थ :- अन्जन भवन के मध्य में अरिष्ट नामक विमानका प्रभु यम नामक लोकपाल फाले रंगको वस्त्रादिक सामग्री सहित रहता है ।।१६६८ ।। पाऊसो । बल्लक्ला छासट्ठी, बिमाने, तस्थारि सहस्सया जस्सपाइ घासट्टी । हाँसि विमानाणि परिवारा ॥१८६६ ॥ । ६६६६६६ । :- वहाँ मरिष्ट विमान के परिवार विमान छह लाख छयासठ हजार बहसी घासठ · आउट्ठ-कोटि-संखा, कप्पन इस्पोओ णिरुवमायारा । होति अमस्स पिवाक्ष, अडिय-पन पहल आरस्स ।। १८७०।। पंगवर भलिम हारिदो पासाद वास - - ३५००००००प :- साढ़े तीन करोड़ ( ३५०००००० ) संख्या प्रमाण अनुपम आकृतिबाली कल्पवासिती देवियां यम नामक लोकपाल की प्रियायें है। इस लोकपालको भायु प्रति पाँच ( अढ़ाई ) पस्य प्रभाश होती है ।। १८७० ॥ १. द.म. क. म. म. ब. नोवपासा । पुत्र विमाणात । विमार्णास्मि || १६६६ ।। ▾ - पासम्म पफिम दिलाए । यहि पृथ्यं वा ।। १८७१ ।। २८. . . . . उ. जुदा । ३. द. व. क.अ. य.च.
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy