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गाया : १७७८-१७५२] परयो महाहियारो
म :-निषधपर्वतकी चूलिकाका प्रमाण दस हजार एक सौ सत्ताईस योशन और दो . फला (१.१२.यो.) कहा गया है ॥१७७७)
बोयण बोस • सहस्सं, एक्क • समं पंच-सहिया सड्डी । मसाइल - कलामो, परस • भुवा निसह • सेलस III
। २०१६५: । मई:-निषष पर्वतकी पाइवं भुजा बीस हजार एक सौ पैभव योजन मोर दाई कला (२०१६५ यो०)प्रमाण है ।।१७७८।।
उपचन-खण्डोंका वर्णनलगिरि-दो-पासम उवाम - संडाणि होति रमपिज्जा । MEHT ... बहाव पर सानि, सुक-कोकिल-मोर-मुसाणि ॥१७७६।।
o:-इस पर्वतके दोनों पार्श्वभागोंमें बहुत प्रकारके उतार वृक्षों और तोता, कोरल एवं मयूर पक्षियोंसे युक्त रमणीय उपवन-खण्ड हैं ।।१७७९)
उपवण - संडा सम्वे, पम्बर - बोहरा-सरिस-चोहता।
बर - बाबी - कृष - बुवा, पुर्व चिय बना सध्या ।।१७८०॥ . .
म :-वे सब उपवम-खण्ड पर्वतकी सम्माई सदृश लम्बे और उत्तम वापियों एवं कूषोंसे संयुक्त है । इनका सब वर्णन पूर्वके ही सदृश है ।११५६० ।।
निषघपर्वतस्य कूटकूणे 'सिदो गिसहो, हरिवस्सो सह विदेह-हरि-विजया । सोदोबपरविरहा, 'राजगो य हवेवि निसाह - उरिस्मि ॥
११॥ म:-मिषधपर्वतक ऊपर सिद्ध, निषत्र, हरिण, विदेह, हरि, विजय, सीतोपा, अपरविदेह और पक, ये नो कूट स्थित हैं ।।१७।
तानं उपय - पदो, सच्चे हिमवंत - सेल - पूनायो। पारगुणिया मरिमे, कोवरि जिलपुरा सरिसा ।।१५८२॥
- - -.-- १. ६. म. म. हिमहे । २. क. 4. 4. दागा। 1. प. बिलावरा ।
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