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तिलोयपण्णत्ती
[ गाया : १७५१-१७५६
:- इस तालाब के ईशान दिशा-भागमें सुन्दर वैश्रवण नामक कूट, दक्षिण दिशा भागमें श्रीनिचय नामक कूट, नैऋत्य दिशामें विचित्र रश्नोंसे निर्मित महाहिममान् कूट, पश्चिमोत्तर भागमें ऐरावत नामक कूट घोर उत्तरमागमें श्रीसंचय नामक कूट स्थित है। इन कूटोंसे महमिवान् पर्वत 'पंच शिखर' कहलाता है ।।१७५३ - १७५५ ।।
एबे सब्बे कूडा, बेंतर उवबन-देवी- सुदा, उत्तर
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जयरेहि परम -
रमजा ।
पासे जलम्म जिन को ।। १७५६ ।।
पर्व :
:– ये सब कूट व्यन्तर नगरोंसे परम रमणीय और उपवन वेदियोस संयुक्त है।
तालाब के उत्तरपापभागमें जलमें जिनेन्द्र कूट है ।। १७५६ ।।
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सिरिणिचयं
रुलियं अंकमयं अंबरीय बजगाई ।
उप्पल सिहरी सूबा, सलिलम्मि पवाहिना होति ।। १७५७॥
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वर्ष :- श्रीनिचय, यंभूयं, अङ्कमय, अम्बरीक, रुचक, उत्पल और शिखरी, फूट ( महापद्मके )जसमें प्रदक्षिणस्पत स्थित है ।। १३५७॥
उसक
रोहित महानदी
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- बारे रोहि-नयी हिस्सरेबि बिस जला । मिलन-सुहेम बवि, पद्म-हद- इगिदीस-ति-सयमविरित ।। १७५८ ।।
रोहीए व वादी, सारिन्छो होबि नाहि दाहिनेनं हेमबरे आदि
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। १६०५,, ।
:- प्रचुर जल-संयुक्त रोहित नदी इस तालाब के दक्षिणद्वार से निकलती है और पर्वत पर पांचसे गुरिणत तमसो इनको योजनसे अधिक ( १२१४५ - १६० योजन) दक्षिण की ओर जाती है ।। १७५८ ॥
रोहिबासाए ।
अर्थ :-- रोहित नदीका विस्तार आदि रोहितास्या के सदृश है। यह नदी हैमवत क्षेत्रमें नामिगिरिको प्रदक्षिणा करतो हुई पूर्वाभिमुख होकर भागे जाती है ।। १७५२।१
पुष्बमुहा ॥१७५९ ।।