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________________ YSY तिलोयपासी [ गावा: १७१२-१५१५ मदरा यहागल कमलामाकदम 'वाईतिnिts ग एक - सब सालस १२ 1 १४०११६ । म :- के सव अकृत्रिम, पृथिवीमय मुम्बर कमल एक लाख चालीस हजार एकसौ सोलह है॥१७१२॥ एवं महा • पुरान, परिमाण साग होवि कमसेसु। खुल्लम - पुर • संखामं, को सरकइ कामखिलानं ॥१७१३।। प्र:-इसप्रकार कमलों के ऊपर स्थित उन महानगरोंका प्रमाण ( एक लाख चामीस हजार एकसौ सोलह ) है । ( इनके प्रतिरिक) क्षुद्र { लघु ) पुरोंकी पूर्ण-रूपेरण गणना करनेमें कौन समपं हो सकता है ।।१७१३॥ परम - बहे पुध्वमुहा, उसम - गेहा हवंति सम्वे कि। तामाभिमुहा' सेसा, खुलप • गेहा जहाजोगणं ॥१७१४॥ प्रम :--पप्राहमें (वे १४०११६) सर्व ही उत्तम एह पूर्वाभिमुख हैं और शेष क्षुद्र-गृह यथायोभ्य उनके सम्मुख स्थित है ।।१७१४ । KAR RASHTRA कमल पुष्पस्थित भवनों में जिनमन्दिरकमल • कुसुमेसु तेनु पासादा जेलिया समुदिता । तेत्तिय-भत्ता हाँति हु, जिण - गेहा चिवित - रयणमया ॥१७१५॥ 1. 4. . फ. प. प. . तामिमहाभिमा ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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