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________________ गाषा : १५१७-१७०.] चजत्यो महाहियारो [ ४८१ भ:-पनेक प्रकारके उमादल आभूषणोंसे शोभायमान तथा सुप्रशस्त एवं विशाल कायबाले वे सामानिक देव चार हजार प्रमाण है।।१६६६।। ईसाग'-सोम-मातर-दिसायनि-भागेसु पउभ-उरिम्मि । सामालियान भवणा, होति सहस्साणि चत्तारि ॥१६६७।। ।४...। प्रबं:-ईशान, सोम ( उत्तर ) मोर वायव्य विशात्रों के भागों में पोंके असर उन सामानिक देवोंके गार हजार भवन है ।।१६६७II सिरिवेवी - तनराला, देवा सोलस • सहस्सया तारणं । पुष्वापिस परोपकं घसारि - सहस्स • भवनाणि ॥१६॥ कदवसालहजारहै। प्रबादिक दिगवामम प्रत्यक दिशाम इनके बार-चार हजार भवन है ।।१६६८।। अग्नंतर - परिसाए', माइन्यो गाम सुर-वरो होदि । बसीस - सहस्साणं, देवानं अहिबई धीरो ॥१६६६।। प्रचं: अभ्यन्तर परिषद में मत्तीस हजार देवोंका अधिपति आदिस्य नाम धैर्यशाली उत्तम देव है ।।१६६६।। पउमाह - परमोवार, मग्गि - विसाए हर्षति भवनाई। बचीस - सहस्साई तागं घर - पन - बाई ॥१७००।। । ३२०.०।। म:-पपदहके कमलोंके पर माग्नेय दिशामें उन देयोंके सत्तम रनोंसे रचित बत्तीस हजार भवन है ।।१७.०॥ परमम्मि चंद-णामो, मसिम - परिसाए अहिया भो। चालीस - सहस्सा, सुराण बह - सत्व-हत्वाचं ॥१७०१॥ । ....। बाल ...... इस। २. र. य. परिपता। ...क.ब.प... पाना । ... ज... महास्था । ....गाला, 5, क. रहमाण प्रत्यार्ण ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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