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________________ तिलोयपष्णलो मर्च । —उसके मध्य में धार कोस और अन्तमें दो afrers ऊँचाई एक कोस और उसका आयाम भी एक कोस YEO] पत संता । · अहवा दो-दो कोसा, एक्कार सहस्स तक्कब्ज़ काय उर्जार, वेरुलिय कबाड संता ।। १६६२।। । को २ । को २ प ११००० कुडागार - महारिह भवनो वर-फलिह-रयण गिम्मिथिओ | श्रायाम-वास-तुरंगा, कोति [ गाया: १६६२ - १६१६ या चार कोस विस्तार है। उसकी प्रमान है ।। १६२१ ।। + चिह । को १।३।३। as: प्रथवा, कारणकाकी ऊँचाई दो फोस और लम्बाई दो कोस प्रमाण है। यह कमल काका म्यारह हजार पत्तोंसे संयुक्त है । इस करिकाके ऊपर वैदूर्यमणिमय कपाटोंसे संयुक्त और उत्तम स्फटिकमणिसे निर्मित कूटागारोंमें श्रेष्ठ भवन है। इस भवनकी सम्बाई एक कोस, विस्तार अकोस भोर ऊंचाई एक कोसके चार भागोंमेंसे तीन भाग ( को ) प्रमाण है ।। १६६२-१९६३॥ कमलमें स्थित श्रीदेवीका निरूपण १. .प.उ. सिरिया । बिहिब । ७ . व पाणाय । तम्मि' ठिया सिरिवेदी, भवणे पलिदोवमम्पमानाऊ । इस चबाणि तुपा, सोम्सस्स सा देवी ।।१६९४ ।। · अर्थ : - इस भवन में स्थित श्री नामक देवी पत्योपम प्रमाण मायुको धारक और दस धनुष ऊँची है । वहु सौधर्म इन्द्रको देवी ( प्राशाकारिणी ) है ।। १६६४ ।। सिरियेबीए होंति हु, बेवा सामानिया य समुरता । परिससिदयानीमा पहन अभियोग किम्बिसिया ॥१६६५ ॥ M B ▾ वर्ष :- श्रीदेवी के सामानिक, तनुरक्षक, तीनों प्रकारके पारिषद, वनीक, प्रकीर्णक, बाfभयोग्य और किल्बिविक जातिके देव होते हैं ।। १६६५।। से सामाभिध देवा, 'बिबिज्जल-भूसणेहि कयसोहा । सुपसस्थ बिचल काया, "बस्सहस्सा मारणाथ ।। १६९६ ।। | ४००० । . . उ. किमा ४. व. न. जस देवा । १.६. टसर दिया पमाखाय क. २८ वडामा रामहरिह मालिम र ६ पा ३. पं.ब. क. बिषय च य म य च परस्साह बिया
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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