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________________ गाथा : १६७६-१६८० 1 घजत्यो महा हियारो [४७७. वर्ष :-हन व्यन्सर देव-वेषियों के ररममय मवन विस्तारमें इकतीप्त योजन एक कोस और ऊँचाईमें बासठ योजन दो कोस प्रमाण होते हुए गोभायमान हैं ।।१६।। पायार-वलाहि-गोउर-पवलामल - पियाहि परियरिया । देवाण होति पयरा, बसप्पमाले कूर - सिहरेसु ॥१६७६।। म :-दस कूटोंके शिखरों पर प्रकार. बलमी (छाजा ) गोपुर और पवन-निर्मल पेदिकामोंसे व्याप्त देवोंके नगर हैं ।।१६७६॥ मुख्यत-धय-बडाया, गोउर - हारेहि सोहिया विउला । घर-बम्ज-कवाड-अवा, वण-पोषखरगि-नाबि-रमाणिज्जा ।।१६७७॥ वर्ष:-देवोंके ये नगर बढ़ती हुई उवा-पताकापों सहित गोपुरखारसि शोभित ; विशाल, उत्तम वज़मय कपाटोसे युक्त और उपवन, पुष्करिणी एवं वापिकाओंसे रमणीय है ।। १६७४।। कमलोपर-बणा-णिहा, तुसार-ससिकिरप-हार-संकासा । समाना: -पय RAEESSETTE -मण मार्च:-(हन नगरों से कितने ही नगर ) कमलोदर सहश, { कितने ही ) तुषार, चन्द्रकिरण एवं हार सहश, ( कितने ही विकसित चम्पक और (कितने ही) नील सपा रक्त कमल खद्दश वर्णवाले ॥१६७८॥ परिणखील - भरगय - कायन-पतमराय-संपुष्मा । जिम - भपहि सनाहा, को साकार पनि सयलं ॥१६७६ ।। प्र :- नगर वप्रमरिण (हीरा ), इन्द्रनीलमणि, मरकामणि, कर्केतन और पपराग मरिणयोंसे परिपूर्ण है तथा बिन-भवमों सहित है । इनका सम्पूर्ण वर्णन करने में कौन समपं हो सकता है? ॥१६ ॥ हिमवान् पर्वतस्थ पादहका वर्णनहिमवतयस मझे, पुलावरमापसे प पड़मबहो । पल-सय - जोयन - दो', तगुणापाम - सोहिल्लो ॥१६॥ । ५.० । १...। - - - - - 1. व. ब.क.ब.प. उ. पत। २...ब.... 'दा ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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