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________________ गाषा : १६६५-१६६६ 1 पउत्यो महाहियारो [ ४१५ दिम्य मुख-मण्डप है। इन मण्डपोंका विस्तार पन्चोस योजन और लम्बाई पचास पोजन प्रमाण है ॥१५-१५१४॥ अट्ट चिय जोयणपा, अधिरिता होदि सान उच्छहो । अभिसेय-पौध-अवतोयणाग वर • मंडवा य तप्परो ।।१६६।। म :--इन ममपोंकी ऊंचाई आठ योजनसे अधिक है । इनके आगे अभिषेक, गीत पौर अवलोकनके उत्तम मण्डप हैं ॥१६६५।। बडगोउराणि सालतिवयं वीही माशभा । ब-थूहा तह 'बण-पय-विसरलोणीओ जिन-निवासेस ॥१६६६।। अर्थ :-जिम भवनोंमें चार गोपुर, तीन प्राधार, वोषियोंमें मानस्तम्भ, नौ स्तूप, बनभूमि, ध्वज-भूमि भोर चस्यभूमि होती हैं ।।१६६६ क ...ant RTER & AT सवे गोतर - बारा, रमनिया पंच-वन-रयममया । बोउल • तोरण • बुरा, गानाविह • मलबारणया ।।१५६७।। प्र:-पाच वर्गके रत्नोसे निर्मित सब गोपुरवार, पुतली-युक्त तोरणों सहित प्रौर नानाप्रकारके मतवारणों ( टोडियों ) से रमणोप है ।।१६६७।। बहु-सालभंगियाहि, सर-कोकिल-बरिहिनादि-पानीहि । महुर • रहि सहिवा, नन्ताणेम - अय'. पसायाहि ॥१६६८॥ मर्ष :-( ये गोपुरद्वार ) बहुतसो बालमंषिकाओं ( पुतलियों ) एवं मधुर शब्द करनेवासे सुरकोकिल और मयूर आदि पक्षियों सहित तथा नाचती हुई बनेक ध्वजा-पताकामों सहित है॥१५ ॥ एला-समाल-लवली-लहंग-कंकोल • 'कबलि • पानीहि ।। नावातर - रमहि, उमाण - पना निराति ॥१६६६॥ प: वहकि उद्यानवन इलायची, तमाल, लवली, सोंग, कंकोल शीतल चीमीका वक्ष ) भोर केसा मादि नाना उत्तम वृक्षोंसे शोभायमान है ।।१६६६11 . .ब.प. १प. . क. प. म. द. शब । २. 4.4... पहावा, प. प. बमबहाणा। कमि, क.कति ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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