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________________ ४७४ ] तिलोयपण्णती [ गापा : १६५९-१९५४ प्र:-( उपयुक्त तीन धारोंसे ) पूर्वमुख धारकी ऊंचाई बाठ योजन, विस्तार पार मोबन और विस्तारके सह प्रवेश भी भार योजन प्रमाण है। मेष पक्षिण और उसर द्वारकी लम्बाई प्रादि पूर्व-द्वारसे माघी है ।।१६५८।। ___ अ य वोहत, बोहल्याउभाग - तस्य - वित्थाएं। मसार:- जोगवा लिया : लिइसे ।।१६५६॥ प्रपं:-जिन भवनमें माठ योजन सम्बा, लम्बाईक पतुर्ष माग ( दो योजन) प्रमाण चौड़ा और धार योजन ऊँचा देवच्छन्य है ।।१६५६।। सिंहासणावि-सहिया, पामर-कर-गाग-बाल-मिहुग-युवा । पुरु - जिण • तुगा - परिमा, अशर-सय-पमाखायो ।।१६६०॥ सिरियेवो मुददेवी, सम्बाण - समाकुमार - प्रसाण । क्याणि अट्ट • मंगल - देवमम्मि टुति ॥१५॥ प्रपं:-सिंहासनादि सहित, हायमें चमर सिए हुए नाग-यम-युगलसे संयुक्त, षम जिनेन्द्र सहम उतना एकसौ आठ संख्या प्रमाण जिन प्रतिभाएं तथा श्रीदेवी, श्रुतदेवी, सहिदेव और सनत्कुमार यशों की मूर्तिया एवं बाठ मङ्गलद्रव्य देवच्छन्दकपर स्थित हैं ।। १६६०-१६६१॥ संबंत - कुसम - रामा, पाराक्य-मोर-कठरिसहयगया । मरगय • पवाल • बन्ना, विराण - लिवहा विराति ||१६६२॥ प्रबं :-वहाँपर सटकती हुई पुष्पमालाओं सहित कबूतर एवं मयूरके नम्ठ तथा मरका और मूंगा सट्टम वर्ण वाले दोशोंके समूह शोमायमान है ।।१६६२।। भंभा-मुरंग महल-जयघंटा-कंसताल • तिवलि - बुदा । पशुपरह - संस - काहल - सुरतुंगुहि - सह - गंभीरा ॥१६६३॥ निणपुर - पुगार • पुररो, पोषक परनमंडवा विध्या । पणवीस - नोयगाई, वासो बिना मायामो ॥१६॥ ।२५। ५० । मर्ग:-प्रत्येक जिमपुर-वारके बागे मम्मा ( भेरी), मृदङ्ग, मईस. जयघण्टा, कास्वताल और सिवसीसे संयुक्त तथा पटुपटह, शह काहल और देवदुन्दुमि आदिबाजोंके वादोंसे गम्भीर ऐसे ...... ज. प. उ. पोरा। २. द. 4. क. व. ग. इ. मसा।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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