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________________ गाथा : १९१६-१६२३ ] बजत्यो महाहियारो [ ४६३ अषम्य रोगभूमिका प्रवेश एवं मनुष्योंकी आयु प्रादिका प्रमाणताहे एसा' यमुहा, बनिया अबर - भोगभूमि सि । सम्वरिमम्मि परानं, एक्कं पल्लं हरे आक ||१६१६ माम उस समय साथिको अन्य मोगभूषि कही जाती है । इस कालके अन्तमें मनुष्योंकी आयु एक पल्य प्रमाण होती है ।।१६१६।। उबएण एक - कोसं, सब - जरा ते पियंगु-चण्ण-सुवा । सत्तो पविसवि कालो, पंचमओ सुसम - जामे ।।१६२०।। म:-उस समय वे सब मनुष्य एक कोस ऊँचे और प्रियंगु मे वर्णसे मुक्त होते हैं। इसके पश्चात् पापा सुषमा नामक कान प्रविष्ट होता है ।।१६२०।। सुषमा नामक मध्यमभोगभूमिके मनुष्योंकी आयु आदि-- तस्स पहम-पवेसे, आउ - हयोगि होति पुष्वं वा। काल - सहावेण तहा, बड्को मधुव - सिरियानं ॥१६२१॥ प्रबं:--उस कालके प्रथम प्रवेसमें मनुष्य-तियंम्वोंकी अन्य प्राधि पूर्वके ही समान होती है, परन्तु काल-स्वभावमे बह उत्तरोत्तर बढ़ती जाती है ।।१६।। ताहे एसा भोगी, मनिमम - भोगावनिति विसावा । तम्बारिमम्मि परान, पाऊ वो - पहल परिमाणं ।।१६२२॥ मई-उस समय यह पपिवी मध्यम-भोगभूमिके मामले प्रसिद्ध हो जाती है। इस कान के अन्तमें मनुष्योंको आयु पो पल्य प्रमाण होती है ।।१६२२।। पो कोसा उलेहो, गारि गरा पुगमिड-सरिस-मुहा । बहुविषय • सीलबंता, विनिय - चाउट्टि - ही ।।१६२३।। । सुसमो समतो'। १. घ. २. क. ग. 4. घ. नावे हेमा । २, ८, क. ज. प. उ. पुम्मन्ह । ३. प. प. . सुलमपुस्मार
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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