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________________ गापा : १५६५-१६०३ ] परलो महाहियारो __विदेह सदृत्त वृत्तिका निर्देशतबकाले तिस्पयरा, परपीस हर्षति तांब पदम-जिलों । मंतिल - कुलकर - सुबो, विदेहयती सणे होरि ॥१५६६॥ मर्थ :-- इस कासमें भी तीर्थकर चौबीप्त होते हैं। उनमेंसे प्रथम तीर्थकर पन्तिम कुसकर का पुत्र झेलर हैउस सरकार का निदेशाला चि हो सस्पटले है ।।१५५६।। चौबीस तीर्यकरों के नाम निर्देशमहपउमो सुरांनो, सुपास - जामो सयपहो तह य । सध्यपहो देवसुबो, कुलसुन • उवका या पोद्विसाम्रो ॥१६००। जयकिसी मुनिसुब्बप-अरब-अपापा म णिक्कसायाम्रो । दिउसो निम्मल - णामा, अवित्तगुत्तो समाहिगुप्तो म ॥१०॥ ।६। उगवीसमो सयंभ, अगिमडी जपो य विमल पामो य । तह देवपाल - गामा, अनंतपिरिमोघ होवि पउबीसो ॥१६०२।। प:- महापप, २ सुरदेव, ३ मुपाय, ४ स्वयंप्रभ, ५ सर्वप्रथर सारमधूत), देवमुत, कुलसुत, ६ उवा ( उद), ६ प्रोनिल, १ जयकीति, ११ मुनिसुबत, १२ पर, १३ मपाप, १४ मिपाय, १ विपुल, ११ मिल, १७ चित्रगुप्ता, १८ समाधिगुप्त, १५ स्वरमा १. अभिवृत्ति (पनियतक), २१ जय, २२ विमल, २३ देवपाल और २४ अनन्तबोयं ये चौबीस तीर्थकर होते हैं ॥१५०-१६०२॥ इन तीर्थकरोंकी ऊंचाई, माय भोर तोपकर प्रकृति बंधके लव सम्बन्धी नाम प्राविम-बिन-उपास, सग - हत्या सोलमुत्तरं च सई । परिमस्स पुम्बाकोगे, माऊ पग-सय - अनूमि उस्सेहो ।।१६०३॥ ।७।११६ पु को । । ५०० । १.प.क.क.स. गिण।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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