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________________ ४५८ ] तिलोयपत्ती [ गाया : १६०४-१६०८ :--इनमेंसे प्रथम तोर्थंकरके शरीरकी ऊंचाई सात हाथ और बायु एकसो सोलह वर्ष तथा अन्तिम तीर्थंकरकी आयु एक पूर्वकोटि और ऊंचाई बसी धनुष प्रमाण होती है ।। १६०३॥ उन्हाऊ पहुबिसु, सेवाएं हि एमियर जिना, तरिय सबै तिभुवणस्स अम्म्ह · · तिरवयर नामकस्म, संघते ताग से इसे लेगि सुपासणीमा 'उदक पोहिल । ५ । चिम- पाबिस-संखा, य मंद सुगंगा ससंक सेवगया । "पेमगतोरण-रेवद- किन्हा सिरौ भगलि-विगलि-मामा ।। १६०६ ।। - तो । लोहकरं ।। १६०४ ।। → । १४ । दोबावण - माणवका, नारद णामा सुत्वरती य । - सच्च पुलो परिमो, नरिंग सम्मि ते जावा ।।१६०७।। आर्य श्री सुधारीत । ५ । - तिस्पवरा भरहो अ नामा | वसूया ।। १६०५।। भ्रम :- शेत्र सो करोंकी ऊंचाई और भायु इत्यादि विषयमें हमारे पास उपदेश नहीं है। ये तीर्थकर जिनेन्द्र तृतीय भवमें तोनों लोकोंको वाश्चर्य उत्पन्न करनेवाले तीर्थंकर नामकर्मको 1 बांधते हैं। उनके उस समयके ये नाम ये हैं १. . . . ब. पाम बदकाय मेघ १ श्रेणिक २ सुपावनं ३ ४ प्रोसि ५ कृतसूर्य (कट), ६ त्रिम, ७ पाविल ( ) ६ नन्द, १० सुनन्द, १९ पापा. १२ सेवक, १६ प्रेमक, १४ मतोरण, १५ रेक्स, १६ कृष्ण, १७ खीरी ( बलराम ), १८ भगति १६ विगलि २० ग्रीपायन, २१ मा २२ नारद. २३ सुपर और अन्तिम २४ सात्यकिपुत्र । ये सब राजवंश में उत्पन्न हुए में ।। १६०४-१६०७ ।। भविष्यत् कालीन मवतियोंके नाम काले, चमकहरा होंति ताण नामाई । धितो, मुततो य गूढ ।।१६०६ ।। २. ८. उ. भिय न संमियम क्र. उपेगरी साम मका, शाम बदकिन्छ ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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