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________________ [ ४३५ पोलिसया बीस-धुवा, बासा तान पिस - परिमा। सेतु प्रबीदे परिप मरहे एक्कारसंगधरा ॥१५०१॥ । २२० । । एक्कारसंग गई। प:-इनके कालका प्रमाण पिहरूपसे दो सौ बीस वर्ष है। इनके स्वर्गस्थ होनेपर फिर भरसक्षेत्रमें कोई बारह बंगोंका धारक भी नहीं रहा ॥१५.१॥ । ग्यारह बंगोंके धारकोंका कमन समाप्त हमा । भागाराङ्गधारी एवं उनका कास-- पढमो सुभद्दरणामो, जसमहो तह य होदि जसबाहू । सुरिमो 4 'लोह - णामो, एवं आयार - अंगधरा ॥१५०२।। मर्य:-प्रथम मुभद्र फिर यशोमा, यशोयाहु और पतुर्व लोहार्य, ये पार भाचार्य आचारा पारक हुए है ।।१५०२।। सेसेस्करसंगाणं', चोहस . पल्याणमेकसघरा । एकसयं प्रहारस - बास • पूर्व तान परिमाणं ।।१५०३॥ । ११८ ।माचारंग गवं । मर्ष:-उक्त पारों भाषार्थ आचाराडके अतिरिक्त पोष ग्यारह प्रजों और पौदह पूर्पोके एकदेशके धारक थे । इनके कालका प्रमाण एकसी प्रकारह वर्ष है ।।१५०३॥ । शचारान-पारियोंका वर्णन समाप्त हुआ । गौतम गणधरसे लोहायं पयंन्तका सम्मिलित कास प्रमाणतेल अवीवेस तरा, प्राचारपरा ग होति अरहम्मि । गोबम - मुनि - पहुबीन, पासानं अस्सयाणि सोयी १५०४॥ ...क., लो। २.द.व.क. स. प. उ. संगारिए।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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