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________________ उत्थो महाहियारी [ ४३१ -- :-रुद्रों के सहरा अतिरोद्र ये सब नारद पापकै निधान होते हैं कलहप्रिय एवं युद्ध-प्रिय गाथा । १४८३-१४८६ ] होनेसे वासुदेवोंके समान ही ये भी नरकको प्राप्त हुए हैं ।। १४६२ ।। उस्सेह आउ सिस्यक्रखेव पश्ब्रक्स - भाब-पणीसु । एवान गारव उबएस । गारवा गया । भ्रमं :- छन नारदोंको ऊँचाई, धातु और नोकर देवोंके ( प्रति ) प्रत्यक्ष - भावादिकके विषय में हमारे लिए उपदेश नष्ट हो चुका है ।।१४८३॥ | नारदका कथन ममाप्त हुआ । कामदेवोंका निर्देश - काले जिणवरानं चडवीसाणं हवंति घडवीसा | से बाहुबल - - - अर्थ :- चोबीस तीर्थकरों के काल में अनुपम आकृतिके धारक वे बाहुबलि प्रमुख चौबीस कामदेव होते है ।। १४८४ ॥ - ॥ कामदेवोंका कथन समाप्त हुआ || १६० महापुरुषका मोक्षपद निर्देश— सुहा, कंदप्पा जिरुवमायारा |११४६४॥ | कामदेवं गदं । तिस्वयरा लग्गुरो, चक्की-ल केसि मारहा अंगज कुलयर पुरिसा, भव्षा सिज्ांति नियमे २१४८५।। - - शिध्वाणे वीर जिणे, वास इस पंचमलो, दुस्लम 286005 बलदेव ( ६ ), : - तीर्थकर (२४) उनके गुरुजन ( माता-पिता २४ + २४ ) वर्ती ( १२ ). नारायण ), रुद्र (११), नारद (E), कामदेव (२४) और कुलकर (१४) ये सब ( १६० ) भव्य पुरुष नियमसे सिद्ध होते हैं । २१४८५ ।। दुखमा कालका प्रवेश एवं उसमें घायु धादिका प्रमाल - ▾ - - लिये अटु-मास-पन्डे । कालो समल्लियवि ।। १४८६॥
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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