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________________ ४१६ ] तिलोयपण्याप्ती [ गाथा : १mo-१४४२ 1-स्वयम्भूनारायणका कुमारकाल मौर मण्डलीक-कान द्वितीय मारायणसे आधा (बारह हजार पाँचसौ वर्ष), विजयकाल नम्वेवर्ष और राज्यकाम इन तीनों (कुमारकाम १२...+ म.का.१२९..+विजय० ।-२५.१० वर्ष ) कालोंसे रहित साठ सास (१०००..२५०१०-१९७४११.) वर्ष कहा गया है ।।१४३६॥ तुरिमल मच तेरस, सयापि कोमार-मालित्तागि । विनमओ सोबी , लिय-काल-विहीन-सीस-सामाई ॥१४४०ll । ७०० । १३००। ८ । २६९७९२० । पर्ष :-पतुर्षे नारायणका कुमार मौर मण्डलीककास क्रमयाः सात-सौ और रहसो वर्ष, विजयकाल अस्सी वर्ष सदा राज्यकाल इन तीनों (कु. ७००+मं. १३०० +वि०८०-२०५०) कालोसे रहित तीस साख (३000080-२0 -२९.६.५२ वर्ष MA R ATraimate SHR२० ) वर्ष प्रमाण कहा गया कोमारो तिरिनसया, बारस-सय-पण्म मंडलीपत। . पंचम विजयो सत्चरि, रज् तिय-काल-होन-बह-लम्ला ।।१४४१॥ 1 ३.० । १२५ । ५० IEE८३८ । प्रयं:-पांचवें नारायणका कुमारकाल तीनसो वर्ष, मण्डलीक-फाल बारहसौ पचास वर्ष, विजय-काल सत्तर वर्ष और राज्य-कास इन तीनों ( कु. ३..+म० १२५०+ वि०७०-१२.) कालोंसे रहित दस लाख (१०००००० - १६२२-१९८३८.) वर्ष प्रभारए कहा गया कोमार - मंडलिसे, कमसो छ? सपाग-नोनि-सया । विजयो सट्ठो रमा, पट्ठि-सहस्स-परसया तास ॥१४॥ । २५० १ २५० । ६० । ६४४४० । -:-छठे पुण्डरीक नारायणका कुमार भोर मण्डलीककास क्रमशः दो सौ पचास वर्ष, विजयकाल साठ वर्ष और राज्यकाल पासठ हजार चारसी पवातीस वर्ष प्रमाण है ॥१४४२॥
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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