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सिलोयपणती [ गापा । १४००-१४०४ मेरी पम्हा रम्मा, पारस पृह - पह हवंति चाकोगं । पारस जोयण • मेस, देसे मुम्बरा-बर - सहा' ।।१४००। ___er
Exxa प:-पतियोंके रमणीय भेरी और पट पृथक्-पृषक चारह-बारह होते हैं, जिनका उत्तम सम्म देशमैं बारह योजन प्रमाण सुना जाता है ।।१४००॥
कोश - तियं गो-संखा, पालीमो एक-कोडि-मेत्ताओ। अलसीवी समक्षा, परोपकं भह - वारण - हाणि ॥१४०१॥
को ३ । को है।४ ल । ८४ ल । मर्म :-उनकी गौओंकी संख्या तीन करोड़, पालियो एक करोड़ ता भनहाथी एवं रघों से प्रत्येक दोरासी-चौरासी नाच प्रमाण होते हैं ।११४.१॥
अट्ठारत कोडोओ, तुरया चुलसीवि-कोशि-पर-बीरा । नपरा बह कोडोलो, असीरि-सहस्स-मेन्छ गरमाहा १४०२॥
को १८ ! को ८४ । । ८८०.० । प्र:-उनके मठारह करोड़ घोडे, पौरासी करोड़ उत्तम वीर, कई करोर विद्याधर और पठासी हार म्लेच्छ राजा होते हैं ।। १४०२।।
सम्याम मनबा , बत्तीस सहस्सयाणि पत्तेपर। तेतिय - मेता पट्टयसासा संगीर • मालामो ।।१४०३।।
__३२००० । ३२००० । ३२००० । w:-सब चक्रवतियोंमेंसे प्रत्येक के बत्तीस हजार मुकुटबद्ध राजा, इतनी ( ३२...) हो नाटयशालाएँ मौर इतनी ( ३२००० ) हो सङ्गीत-शालाएं भी होती है ।।१४०३।।
होति परामाणीया, दु-गुनिय-पडवोस-कोरि-परिमागा । बत्तीस - सहस्सालि, देसा सक्कोण पसेयं ।।१४०४॥
को ४८ । ३२००० ।
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ज. प. उ. प६ । २. ५. व. उ. वहारिण।।