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________________ गापा : १३५६-१३६ ] पउत्पो महाहियारों [ ३६३ प्रपं:--वहाँ चक्रवर्ती प्रशस्त गोमाको प्राप्त, विस्तृत एवं नाना वृक्षों के समूहसे मण्डित बममें सेनाको ठहराते हैं ।।१३५५।। आचाए चस्कोन, सेरणबाई अबरभाग - मेन्छ - महि । सायि समाहि. संघाचारं समल्लिया ।।१३५६।। भ: पून: पक्रवर्तीको आमासे सेनापति पश्चिम भागके म्लेच्छ खण्डको वश कर छह मासमें पड़ावमें सम्मिलित हो जाता है ॥१३५६।। निगमछते चस्को, गिरि - वन - बेबीए बार - मग्गेण । मज्झम्मि मेरखातर - पसाहगढ़ बसेण जुमा ।।१३५७।। प्रपं:-पश्चात् मध्यम म्लेच्यखण्डको सिट करनेके लिए चक्रवर्ती सेना सहित पर्वतीय वन-वेदोके द्वार-मार्गसे निकलते है ।।१३५७।। कुलदेवता - बले, बुझ कुरति घोरयरं ।।१३५८ ।। पर्य :- उस समय म्लेच्छ-महीकी ओर प्रस्थित हुए उनके साथ सब म्लेंच्छ राजा अपने कुलदेवतापोंके बलसे प्रचण्ड युद्ध करते हैं ।।१३५८1 बेतूल मेम्पराए, ततो सिंधूए तौर • मडगेण । गंतण उत्तरमुहा, सिंघवेषों पुर्णति पसं ॥१३५६।। म :-अनन्तर पक्रवर्ती म्लेच्छ राजामोंको जीतकर सिन्धुनदी के तटवर्ती मार्गसे उत्तरको ओर आकर सिन्धुदेवीको वयमें करते हैं ॥१३५६॥ हिमवान् देवको दश करना-- पुम्बाहिमुहा ततो, हिमवत • बस देवि - मगोण । हिमवंत - पूर - पणिही • परियतं जाब गंपूर्ण ॥१३६०।। निय-मामकिसनसणा, चकहरा विपिन साहति । हिमवंत-पूर • संठिय - बसर • हिमवंत - गाम • सुरं ॥१३६१।। १.स.स.क, ज. प. पहिरेहि ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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