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________________ ३७६ } तिलोषपाती [गाषा : १२७६-१२३ गभ-पम-ग-सग-छक्क-हाणे नव-व-पास • परिहोगा। पस्सस्स उम्मागो, सो कालो एमाहस्स ॥१२७६ :.. 3 पाUिTAEL साराल मर्य:-कुन्धनाप स्वामीका वह काल गून्य, पाच, दो, सात और छह स्थानों में नौ, इन असे निर्मित संख्या प्रमाण ( NRELEEV२५०) वसि हीन पस्यके चतुषं भाग प्रमाण है ॥१२७६ कोरि-सहस्सा एव-सम-सेतीस-सहस्स-बस्स-परिहीणा । मिमान-पय-पपट्टण - काल - पमानं वर • बिनस्स ॥१२८०॥ । ERREE६६१००। मर्च-अरमाप जिनेन्द्र के निर्वाण-पद-प्रवर्तनकालका प्रमाण तैंतीस हजार नौसौ वर्ष कम एक हजार करोड़ वर्षे है ।।१२८०।। पवा -जल-चस्सा, बाषण-सहस्स-हस्सय-बिहीना । अपबग्ग-मना'-पक्षण • कासो सिरिमहिम • सामिस्स ॥१२५१।। वा ४४७४०० । मय:-धोमहिलमाप स्वामीका मोक्षमार्ग-प्रवर्तन-काल बावन हजार सहसौ वर्षोंसे रहित पचपन लाख वर्ष प्रमाण है ॥१२८१॥ पंच-सहस्स-शुपाणि, छ चिय संबच्छराणि ससागि । गिस्सेय - पय - पयट्टण - कालो सुधप - निखिवस्त ॥२२॥ । वा ६०५०००। :-मुनिसुव्रतजिनेन्द्रका निःश्रेयस-पद-प्रवर्तनकाल छह लाब पांच हजार वर्ष प्रमाण है ॥१२२॥ मरसय-एषक-सहस्सम्भहिया संबचराग पन - ससा । तित्वावतार - सट्टन - काल • पमाणे पनि विदस्म ॥१२८३॥ ।व ५.१८०० । १. द. 4. क... य.च.म
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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