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________________ गाया : १२७५-१२७८ ] मो महाहियारो [ ३७५ म :- वासुपूज्यदेवका वह काल दौवन लाख वर्ष कम एक पल्यसे रहित तोस सागरपर प्रमाण है ।। १२७४ ।। मार्गशभारा-सासारा गम बारिहि उपमाणा, सो कालो विमल नाहस्स ।। १२७५।। । सा ६ व १५ ल । रिप अर्थ :- विमलनाथ तीर्थंकरका वह काल पन्द्रह लाख वर्ष कम पल्यके तीन चतुर्थांशसे हीनदी सागरोपम प्रमारण है ।। १२७५ ।। · पचास सहस्ताहिय सग- लक्वेन-पहल-दल-मे । विहिन चरो सायर उपभाणि भरत सामिस्स ।।१२७६ ।। । सा ४ व ७५०००० रिा प ३ । - श्रनन्तनाथ स्वामीका तीर्थ प्रवसंनकाल सात लाख पचास हजार वर्ष कम अर्ध-पस्य + - - से रहित चार सागरोपम प्रमाण है ।। १२७६ ।। पणास साहस्सा सिक्ख बासूण- पल्स-परिहीणा । तिमिल महम्यय-उवमा, धम्मे 'धम्मोबदेसना - कालो ।। १२७७।। सा३ व २५०००० रिा प १ । अर्थ :- धर्मनाथ स्वामीके धर्मोपदेशका काल दो लाख पचास हजार वर्ष कम एक पत्यसे होन तीन सागरोपम प्रमाण है ।। १२७७ ।। - वारस सयाणि पाहियाणि संवन्दराणि पल्लद्ध । मोक्सोबस कालो, संति B - १. व. ब. क. जय. उ. धम्मोपदेवी को निंबस्स मिट्टि ।।१२७८॥ १३ व १२५० । म :- शान्तिनाथ जिनेन्द्रका मरेक्षोपदेशकाल अपल्य और बारहसी पचास वर्ग-प्रभात कहा गया है ।। १२७८ ।।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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