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गाषा : १२६५-१२६९ यतत्वो महाहियारो
बत - पुरुवंगामहिवा, पयोहि उबमान-मदि-मेचार । कोरि-सहस्सा हि पुढं, सो समओ सुमह - सामिस्त १२५५।।
___सा ६००० को । युज्वंग ।। म :-सुमतिनाप स्वामीका वह काल नार पूर्वाङ्ग सहित नम्मे हजार करोड़ सागरोपमा प्रमाण कहा गया है ।।१२६५।।
पर-पुबंगभहिया, पीरहि-सवमा सहस्स-रणव-कोही। तित्य - पयन - कालो, परमप्पह - जिनरिवरस ॥१२॥
* सा६... को । पुस्वंग ४ । प्र:-पम जिनेन्द्रका तीर्थप्रयसनकाल चार पूर्वान अधिक नौ हजार करोड़ सागरोपम प्रमाण है ॥२६६।।
पर-पुम्बन-मामओ, गह-सम-कीरीमो अहि-उपमाणं । घन्म - पपन कालापमाणमे सुपासस्स ॥१२६७।।
सा १०० को । पुवंग ४। मर्थ :-सुपर्वमाप सोकरके धर्मप्रवर्तनकालका प्रमाण चार पूर्वाङ्ग सहित नौ सौ करोड़ सागरोपम प्रमाण है ।।१२६७।।
पर-पुब्बंग-अवामओ, रपणायर-उबम-दि-कोजीओ । हिस्सेय • पय - पयन • कालो बापह - निणस्त ॥१२६८।।
सा ६० को । पुन्वंग ४। वर्ष :-चन्द्रप्रभ जिनेन्द्रका निःश्रेयस-पष-प्रवासनकाल पार पूर्वाङ्ग सहित नम्मं करोड़ सागरोपम-प्रमाण है ।।१२६८)
भावीस-पुष्वगंगाहिय • पल्ल परस्यभाग - होरखामो। मयरापर - उवमार्ग, भव - कोमोमो समहिलाओ ॥१२६६।।
सा-९ को रिण प : पुस्वंग २८ ।