________________
गापा : १२१७-१२४१ ] उत्यो महाहियारो
[ ३६३ चावाल - सहस्सानि, अट - सवाणि च माहस । सस्तीत - सहस्सा, रो-सबन्नुत्ता भर - जिभिबस्स ॥१२३७॥
।४६८०० । ३७२०० । प.-कुन्थुनापके धमालीस हजार पाठ सौ और घर-नाथ जिनेन्द्रकं संतीस हजार दो सो यति मुक्त हुए ।।१२३७।।
अहावीस - सहस्सा, भट्ट सदानि पि मल्लिगाहस । उपवीस - सहस्साणि, रोग्नि समा सुबय - जिनस ॥१२३८।।
। २८५०० । १६३००। म :-मल्लिनायके मट्ठाईस हजार पाठ मो और मुनिमुव्रत मिनेन्द्र के उन्नीस हजार दो सो यति सिट हुए ।।१२३८॥
नवय सहस्सा छस्सम-संवृत्ताममि-जिरणस्स सिस्सनाणा। मिल्स अर-हस्सा बासहि- सयानि पासस्स ।।१२।।
६६०. | ८००० । ६२०० । मर्य:- नमिनाम जिनेन्द्र के नौ हजार छह सो, नेमिनाथके पाठ हजार और पावनायके गासठ सो शिष्यगण मोक्ष गये हैं ।।१२३६।।
चरवास - सपा जीरेसरस्स सन्वाण मिलिव-परिमाणं । पउवीसषि-लक्षाणि, चउसद्वि-सहस्स-बउ-सयामिति ॥१२४०|
wer | २४६४४००। म:-बोर जिनेश्वर पवालीससो शिष्यगए मुक्तिको प्रापा हुए। इन सवं नियोका सम्मिलित प्रभाग भौबीस साब जाँसठ हजार चार सी होता है ।।१२४०॥
ऋषादिकों के मुक्ति प्राप्त शिष्यगणों का मुक्तिकासउतहावि • सोलसाणं, केवसमागप्पसूवि - विसम्मि । पढम चिय सिस्स - गणा, मिस्सेयस - संपर्य पत्ता ।।१२४१॥