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________________ निलीयपमाती [ गापा : १२३३-१२३६ :-सुपार्श्व-जिनेन्द्र के दो लाख पचासी हजार छह मो और चन्द्रप्रमुके दो लाख बाँतीस हजार पति मुक्त हए ।।१२३२।। उणसीवि - सहस्सानि, इगि - ल स्सयाणि सुविहिस्स । सोधि - सहस्सा' अस्सय, संजुत्ता' सीयलस्त देवस्स ।।१२३३।। । १७९६००150400। मर्थ :-सुविधिनायके एक साल उन्यासी हजार छह सौ और शीतलवेवके पस्सी हबार छह सौ ऋषि मुक्तिको प्राप्त हुए ।।१२३३॥ पटि-सहस्साणि, सेर्यत - शिणस्त पस्सयाणि पि । परबम - सहस्साई मुच्च सया बासुपुजस्म ॥१२३४॥ । ६५६० । ५४६०० । मपं :-श्रेयांस जिनेन्टके पैसठ हजार छह वासुपूज्य बाप ह स ति मोक्षको प्राप्त हुए ॥१२३४।। एक्कावण-सहस्सा, तिणि सयाणि पिविमल-माहस्स । तेतिष - मेत्त - सहस्सा, लिय - सय - हीमा पतस्स ॥१२३५।। । ५१३०० । ५१...। म :-विमल जिनेन्द्र के इक्यावन हजार तीन सौ और मनन्तनापर्क तीन सौ कम इतने ही पर्वात् इक्यावन हजार यति सिझपदको प्राप्त हुए ।।१२।। उगवन • सहस्साणि, सस - सएहि पाणि धम्मस्स । अखाल - सहस्साई, चतारि सवाणि संसिस ॥१२३६॥ : ।४६७००।४८४००। परं:-मनाप बिनेन्द्रझे उनचास हजार सात सौ और शान्तिनायक भइसालीस हजार चार सो ऋषि सिदपदको प्राप्त हए ।।१२३६।। .ब.प. अ. 4. उ. सहस् । २ ... क. जय... मुलाहि ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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