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________________ गाया : १२२६-१२३२ ] पस्यो महाहियारो [ ३६१ गये है। इस विमानों में जाने वाले सम्पूर्ण शिक्षा का प्रयासमा लाल सार मोर पो (२७७१०.) संस्थाके बराबर है । १२२६-१२२८॥ । अनुसर विमानों में जाने बालोंका कषन समाप्त हुआ। ऋषभादिकोंके मुक्ति प्राप्त यतिमणों का प्रमाण-- साहि-सहस्सा पव-सय-सहिया सिडि गदा जवीण गणा । उसहस्स अजियन्सहमो, एक्कन्सया सलातरि - सहस्सा ।।१२२६।। ।६.१००। ७७१.० । प :-ऋषभजिनेन्द्र के साठ हजार नौ सौ भोर अजितप्राके मतसर हजार एकसो पतिगण सिद्धिको प्राप्त हुए हैं ।।१२२९।। सार-सहस्स-इणि-सय-सत्ता संभवस इगि • लक्वं । दो साला एक्क-सवं, सीरि-सहस्सागि गंवन-निमस्स ॥१२३०॥ । १७०१०० । २८०१००। मर्ष:-सम्भवनापके एक खास सत्तर हजार एक सौ और अभिनन्दन जिनेन्टके दो लाख भस्सी हजार एक सौ यत्तिगण सिंह हुए है ।।१२३० ।। सामाणि तिग्णि सोतस-सहि जुत्तागि सम-साभिस्त । बोहस-सहस्स-सहिदा, पउमापह-जिपबरस्स पतिय-समता ।।१२३॥ ।३.१६० । १४००० । म :--मुमसिनाथ स्वामीके तीन लाख सोलह सो भौर पपप्रभ जिनेन्द्र के तीन लाख पौवह हजार मुनि सिद्ध हए ।।१२३१।। पंचासोदि सहस्सा, वो लपला छस्सया सुपासस्स । बउतीस - सहस्स - जुगा, को लक्हा संवाह • पहनो ।।१२३२॥ ।२८५६०० । २३४००० । १.... तिमयसमा।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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