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________________ ३६० ] तिसोयपष्णाप्ती [ गापा : १२२५-१२२८ प्रकारान्तरसेमा सत्तममेषक-सर्य, उपरि-तिय विवाद परसोयी। सेसे पुष्य • संबा, हवंति अनुगट - केवली अहा ।।१२२५।। पत्तेयं १००।१०० १००।१००।१००।१०।१०.to It It०। ८४ | ४० । १६ । ३२ । २८ । २४ । २० । १६ । १२ । । ४ । ३।३। प:-अपवा सातवें सुपाश्वनाष पर्यन्त एकसा, आगे तोमके नम्ब, पुनः नम्ब, चौरासी एवं शेष सीर्षकरोंके पूर्वोक्त संख्या प्रमाण हो अनुबब केवसी हुए हैं ॥१२२५।। अभादि तोपकारों के सिव्योग पत्ता विमलों में जाने वालोंकी संख्याउसह तियान खिस्सा, बोस - साहस्सा अनुत्तरेसु गया। कमसो पंच - बिसु, तसो बारस - सहस्सानि ॥१२२६॥ ००।२०००० । २०००० । १२००० । १२००० । १२००० । १२००० । १२...। तत्तो पंच - जिगेसु, एकार • सहस्सपाणि परो । पंच सामिसु ससो, एक्केबके स - सहस्साणि ॥१२२७॥ ११००० । ११...। ११०००। ११००० । ११०००।१०... १.... 11००००।१0000 + १०००० । अहासीदि : समाणि, कमेण सेसेसु निगरियेसु। गयण-गम-बह-सग-सग-दो-अंक-कमेग सब्य-परिमाणं ॥१२२८॥ ५८. ८५.०। ८. 50. I 4... 14...। समेलिया २७५६०. || । अणुतरं गदं। :-ऋषभादिक तीन जिनेन्द्रोंके कमान: बीस-बीस हजार, मागे पाच तीर्थकरों के बार-बारह हजार, भागे पाच जिनेन्द्रोंमेंसे प्रत्येक ग्यारह-ग्यारह हजार, फिर पांच मिनेन्द्रमिसे एक-एकके दस-दस हजार सवा शेष छह जिनेन्द्रोंके क्रमशः मठासी-मठासी सौ शिष्य बनुत्तर विमानोंमें ......... पदो।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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