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________________ ३५२ ] तिलोपस भम्मि सम्मे । फरतुन किन्ह-चडल्बी अबरहे जन्म चवीसाहियतिय सय सहिदों परमम्पो देवरे ।।१२०१ ।। फागुन- बहुलछुट्टी असुराहाए पण - - ३२४ :- पद्मप्रमदेव फाल्गुन-कृष्णा चतुर्थी के अपरा अपने जन्म (चित्रा) नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखर से तोनसौ चौबीस मुनियोंके साथ मुक्तिको प्राप्त हुए हैं ।। १२०१ ॥ सय · - → [ गाथा : १२०९-१२०५ :- अचार्य श्री ि - पुन्हे पवम्मि सम्भेवे । तो मुसो सुवास जिलो ।। १२०२ ॥ · । ५०० । : प्रयं सुपाश्वंजिनेन्द्र फाल्गुन-कृष्णा पष्ठी के पूर्वा अनुराधा नक्षत्रके रहते सम्मेद पर्वत चिसो मुनियों सहित मुक्तिको प्राप्त हुए हैं ॥१२=२ ।। सिव-सतम-पुण्य, भद्दपदे भुमि सहत्य सु सम्मे यह जनवरी - - ६. ब. जे. उ. जुता । २. ४.ब.उ. दो १००० । अर्थ :- चन्द्रप्रभ-जिनेन्द्र भाद्रपद शुक्ला सप्तमी पूर्वा ज्येष्ठा नक्षत्रके रहते एक हजार मुनियों सहित सम्मेदशिखरसे मुक्त हुए हैं ।। १२०३ ।। - संतो । सिद्धो ।। १२०३ ॥ असद- सुक्क अटुमि अकरम्हे जम्म भम्मि सम्मे । मणिबर सहस्त-सहियो, सिद्धि गयो पुष्कवंत जिणो ।। १२०४ ॥ - १००० 1 अर्थ :- पुष्पदन्त जिनेन्द्र आश्विन शुक्ला अहमीके अपराह्न में अपने जन्म ( मूल ) नक्षत्र के रहते सम्मेदशिखरसे एक हजार मुनियोंके साथ सिद्धिको प्राप्त हुए हैं ।।१२०४।। कचिय सुक्के पंचभिपुष्यन्हे जन्म-भम्मिम्मे । शिष्याणं संपत्तो, सोयल वेबो साहस्स १००० । जुबों ।।१२०५।।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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