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________________ महाहियारो ससुद्धः प्रतेि । सम्मेद अभियात्रियों मुसि 'एतो सहस्स समं ।। ११६७।। गाथा १११७-१२०० १००० वर्ष :- मजित जिनेन्द्र यंत्र शुक्ला पंचमी के पूर्वाभरणी नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखरसे एक हजार मुनियोंके साथ मुक्तिको प्राप्त हुए ।।११६७॥ बेस्स सुक्क छुट्टी वरन् जम्म भम्मि सम्मे संपतो प्रपवर्ग, संभवसामी सहस्स - - १.८.. ४. ब. ज. उ. जुता । - १००० । :- सम्भवनाथ स्वामी चैत्र शुक्ला ठोके अपराह्नमें जन्म ( ज्येष्टा } नक्षत्र के रहने सम्मेदशिरसे एक हजार मुनियोंके साथ मोक्षको प्राप्त हुए हैं ।।११६८ । वइसाह-सुन-समि, पुम्हे अम्म मम्मि सम्मेद ! बस सय महसि सहियो भंवणवेची" P M · - - | १००० | अर्थ :- अभिनन्दन देव वंशाख शुक्ला सप्तमोके पूर्वा रहते सम्मेदशिरसे एक हजार महर्षियोंके साथ मोक्षको प्राप्त हुए ।। ११६६॥ - - जुदी' ।। ११६८ ।। - वेत्तस्स सुबक वत्सभी पुथ्वहे जम्म भम्मि सम्मे । इस सय रिसि संजुतो", सुमई निष्वानमावली ॥१२०॥ - १००० गवो मोल्लं ।। ११६६ ॥ [ ३५१ प्रश्न जन्म ( पुनर्वसु ) नक्षत्र के पर्थ : सुमतिजिनेन्द्र चैत्र शुक्ला दसमी के पूर्वाद्धमें अपने जन्म ( मधा ) नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखरसे एक हजार ऋषियोंके साथ निर्वाणको प्राप्त हुए ।। १२०० ॥ जउ मुति पत्ता । २. ६. ब. ज. उ. जुदा......
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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