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गाचा : ११८१-१९५] उत्यो महाहियारो
[ ३४७ ताई विष पत्ते, विहि-निनेसम्म सीयल-निणिरे'। तीस - सहस्साहिम, लवं सेवंसदेवम्मि ॥११८१॥
३८०००० । ३८00.0 | १३००००। :--सुविधि और पीतल चिनेन्त्रमेंसे प्रत्येकके तीर्यमें उसनी ही ( सीन सास अस्सी हमार ) तथा श्रेयांस जिनेन्द्र के सोर्य में एक लाख तीस हजार ( १३.०४. मयिकाएं थीं ॥१५॥
विरवीड 'वासुपुज्ने, इगि-सवलं होति सहस्सारिण। हगि-लावं ति - सहस्सा, पिरबोओ विमल - देवस्स ॥११॥
१०६..। १०३०००। मय:-यासुपूज्य स्वामौके तीर्थ में एक लाख छह हजार ( १०६.०० ) पौर विमलदेव के तोममें एक साथ तीन हजार ( १०३००० ) आर्यिकाएं थीं ।।११८२।।
भट्ठ-सहस्सामहिमं, अगत-सामिस्स होति इमि लाल । पासष्टि - सहस्साणि', बत्तारि सयाणि धम्मगाहस्म ॥११३॥
१०.०० । ६२४००५ मर्ष:- अनन्तनाप स्वामीके तीर्थमें एक मात्र पाठ हबार ( १७६०. ) और धर्मनाथके तीधर्मे शसठ हजार चार सो { ५२४०० ) आयिकाएं थीं ।११८३१॥
सटि-सहस्सा ति-सयम्भहिया संकी-सतिस्प-विरबीयो । मष्टि - सहस्सा ति - सया, पन्नासा धोवस्त ।।११४॥
६.३०० १६०३५० । :-शान्तिनाप तोमें साठ हजार तीनसो ( ६.३७.) और कुम्युजिनेनके तीपमें साठ हजार तीन सौ पचास (६०३५०) आयिकाएं घी ॥११८४।।
अर-जिण-वरित-तिस्पे, सद्वि-सहस्सालि होति बिरबीओ। पगाल • सहस्सागि, मल्सि - जिसत्य तित्पम्मि ॥११८५॥
६०००० । ५५०००।
.... उ, निरिणाग। २. ... प. प. उ. माज्जे । ३. . मासाणं ।