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________________ तिलोयपणाती [ गाथा : ११७७-१९८० कृषभादि तीपंकरोंकी प्रायिकाओंका प्रमाणपन्नास-साहस्साणि, साखाणि तिल उतह - बाहस्स । अजियस्स तिणि लक्खा, ओस • सहासानि बिस्दीको ।।११७७॥ ३५०००० । १२०००० :-ऋषभजिनेन्द्र के तौईमें तीन लाख पचास हजार ( ३५०००.) और अजितनाप के सोपमें तीन साख वीस हजार ( ३२००००) प्रायिकाएँ श्रीं ।।११७७।। तोस - सहस्सम्महिया, तिय सत्ता संभवास तित्वम्मि । विरोमो तिमि लाला, सोस-सहस्सामि कसम तुरियाम्म ॥११५८।। xmaa .. AFTENSULT 26-50 PATRE प्रपं:-सम्भवनापके सीपमें तीन लाख तीस हजार (१२०००) एवं पार्ष अभिनन्दनमायके तीर्पमें तीन लाख तीस हजार छह सो (३०१.००) माविकाएं भी ।।११७।। तीस-सहस्सहिया, सुमइ-निविस्स तिणि लताई। बिरवीओ पज-साखा, बीस-सहस्सानि पउमपह-माहे ॥११७६।। ३३०००० | ४२०.० मर्थ:-सुमतिजिनेन्द्रके तीर्य में तीन लाख तीस हजार ( ३३०००० ) और पचप्रमके तीर्ष चार लाख बीस हजार { ४२.... आर्यिकाएं पौं ।।११७६।। तोस • सहस्सा तिथि य, लक्खा सिस्ने सुपासवेवरस । चंवरहे' तिय - सन्ता, सोवि • सहस्सानि बिरखोनो ॥११०॥ ३३०००० । ३६००००। :-सुपार्श्वजिनेन्द्र के सीमें तोर मात्र तीस हजार ( २०००० ) मौर चन्द्रप्रभके तोषमें तीन लाख अस्सी हजार { ३८०००० ) मार्यिकाएं पी॥१९८०!! १.ब.प. महे।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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