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________________ ३४२ ] तिलोयपम्हणतो [गाषा : ११६८-११७५ इगि-सम-जु सहस्त, बेगुग्यो भव सयागि बिडलमी। मह साई पाबी, तिहबम - सामिम्मि मिम्मि ॥११६८॥ ११.. । वि ९०० । वा ...। वर्ष:-चमोल्प स्वामी श्री नेमिनापके सात गणोंमेंसे पूर्वपर बीसके वर्ग (चार सौ) प्रमाण, शिक्षक ग्यारह हजार आठ सो, अवधिशानी पाइसौ केवसी भी इतने ही, विक्रिया-कृति घारो एक हजार एक सौ. विमल गो. पर शादी AARTIK ROYEE पाश्व-जिनेन्द्र के सात गणों का प्रमाणतिमि सागि पञ्चा, पुबारा सिपलगा सहस्सामि । ना गर-सम-मुत्तानि, ओहि - मुगी चोइस-सयानि ॥११॥ पु ३५० । सि १०६.0 | भो १४०० । बस-यग-फेवतणाची, बेगुन्यो तेति पि वित्तम । सत्त समाणि पश्या, पास-विने इस्सया बाडी ॥११७|| के... | वे ?...। वि ७५० । वा ६०० । :-पाश्य-जिनेन्द्रके सात गणोंमेंसे पूर्वपर तीमसौ पचाम, शिक्षक बस हजार नौ सौ, प्रवधिमामो मुनि पौदह सौ, केवली दसके धन ( अर्थात् एक हजार ) प्रमाण, इतने ही विश्छ्यिाअविषारी, विपुनमति सातसो पदास और वादी छह सो॥११६९-११७०। वर्धमान जिनके मात गणोंका प्रमाण ति-सयाईपुष्परा, मल-जविसबाहॉति सिक्लगना। तेरस • सयाणि ओही, सत • सयाई पि केवनिनो ॥११७१॥ पु३०. । सि ६१.( ओ १३०० । के ७..। .. . . . .- - -- -- ---
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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