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उत्थो महाहियारो
बावीस पगारस, 'बारस कमसो स्याणि बेम्बी । सुव्ययमाहम्मि जिगणा ।। ११६४।।
विलमवी
बायोग्रो,
1 | दे २२०० । वि १५०० | वा १२००
:- मुनिसुव्रत- जिनेन्द्रके सात गणोंसे पूर्वधर पांचसौ. शिक्षक इक्कीस हजार, अवधिज्ञानी एक हजार भाठ सौ केवली भी इसने ही विक्रिया- ऋद्धिघारी बाईससी. विपुलमति पन्द्रह तथा वादी वारह सौ ये ११११६३-१९६४ ।।
गाथा : १९६४- ११६७ ]
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तार तथा पम्पा, पुष्वधरा सिक्सया सहस्साई । बारस छ-सय-जुबाई ओही सोलस-मयाणि णमिणा ।। ११६५ ।। ४५० | सि १२६०० । यो १६०० ।
मा
ताई चिप केवलिखो, पमगरस-सयाइ होंति देगुब्बी ।
बारस स्वाद पण्णा, विलमदो दस समा वादी ।। ११६६ ॥
के १६०० | वे १५०० वि १२५० वा १००० ।
- भिनाय के सात गणोंमेंसे पूर्वधर पारसौ पचास, शिक्षक बारह हजार छह सो अवधिज्ञानी सोलह सौ केवली भी सोलह सौ विक्रिया ऋद्विषारी पन्द्रहसी विपुलमति बारह सौ पचास और वादी एक हजार थे ।।११६५ - ११६६ ॥
१. ८. बारवकमसी ।
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नेमिनाथके सात गरणका प्रमाण
बोस-कवी पुष्धरा, एक्करस-सहस्व अब समा सिक्ला ।
पन्जरस सया ओहो, लेजिय मेला य केवलिको १११६७ ॥
पु४०० | सि ११८०० । श्रो १५०० के १५०० 1
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